इस चिट्ठी में, इंडिया इन्टरनेशनल सेन्टर में हुऐ भूमि उत्सव की चर्चा है।
टैगोर इंटरनेशनल स्कूल की छात्र और छात्रायें, जिन्होंने एक प्रस्तुतिकरण दिया था। |
इस चिट्ठी में, इंडिया इन्टरनेशनल सेन्टर में हुऐ भूमि उत्सव की चर्चा है।
टैगोर इंटरनेशनल स्कूल की छात्र और छात्रायें, जिन्होंने एक प्रस्तुतिकरण दिया था। |
२०१७ में, उन पर निकला स्टैम्प |
इस चिट्ठी में, रज्जू भैया की कुछ और यादें और उनके जीवन दर्शन की चर्चा है।
१९९८ में, इलाहाबाद के प्रवास के दौरान, मेरी लिखी पहली पुस्तक पढ़ते हुऐ |
इस चिट्ठी में बीबीसी के द्वारा बनायी गयी फिल्म 'आइन्स्टाइन एण्ड एडिंगटन' की समीक्षा है।
'उन्मुक्त जी, यदि यह चिट्ठी आइन्सटाइन के बारे में फिल्म की समीक्षा है तब इस शीर्षक का क्या मतलब है।'
अरे भाई, जल्दी भी क्या है, पहले समीक्षा तो पढ़े।
इस चिट्ठी में, हमारे परिवार और जवाहर लाल नेहरू के बीच दो रोचक किस्सों की चर्चा है।
मोतीलाल और जवाहर लाल नेहरू - इलाहाबाद में, इनके बारे में, दो प्रसंग चर्चित हैं।
पहला, कि इनके कपड़े पेरिस धुलने जाते थे। यह सही नहीं है, केवल रूपक है। यह इसलिये कहा जाता है कि मोतीलाल नेहरू सफल वकील थे और एन्होंने बहुत धन अर्जित किया।
दूसरा, वकालत करना हो तो इलाहाबाद में करो - यदि सफल हो गये तो मोतीलाल नेहरू यदि असफल रहे तो जवाहर लाल नेहरू। दोनो में से कोई भी घाटे का सौदा नहीं।