इस चिट्ठी में, राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य की एक घटना के साथ, चर्चा है , कि स्वच्छ भारत अभियान कैसे सफल हो।
इस चिट्ठी में, राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य की एक घटना के साथ, चर्चा है , कि स्वच्छ भारत अभियान कैसे सफल हो।
इस चिट्ठी में, राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य में दिखे, जानवरों और चिड़ियों की चर्चा है।
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| मगर |
चम्बल अभयारण्य
इस चिट्ठी में - राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य (National Chambal Gharial Wildlife Sanctuary) और 'मेला कोठी, द चंबल सफारी लॉज', जहां हम ठहरे थे - का वर्णन है।
राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य
राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य और मेला कोठी।। मगर दिखे पर घड़ियाल नहीं।। स्वच्छ भारत अभियान - बिना हमारी भागीदारी के नाकामयाब है।।
इस चिट्ठी में तनिष्क विज्ञापन पर उठे विवाद पर चर्चा है।
मेरे जीवन में बहुत से लोग महत्वपूर्ण रहे/ हैं। ऐसे दो का, आज जन्मदिन है - इनमें से एक की चर्चा (१९.०९.१९४४ - २८.१०.२०१९) मेरे द्वारा; और दूसरी (१९.०९.२०१६- ), शायद कभी, मेरे बारे में ऐसी चर्चा करे। लेकिन, तब तक मैं बहुत दूर जा चुका होउंगा।
जेके इन्स्टिट्यूट ऑफ अप्लाइड फिजिक्स इलाहाबाद विश्विद्यालय की विज्ञान संकाय में स्थिति है। इसका उद्घाटन ४ अप्रैल, १९५६ में जवाहर लाल नेहरू ने किया था। यह चित्र उसी समय का है। इसके दो कोनो पर दो महत्वपूर्ण व्यक्ति - एक मेरे लिये और दूसरा देश के लिये।
लगता है कि राष्ट्रगान के 'जय हे' पर चित्र खींचा गया है।
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| जीजी, दादा को राखी बांधते हुऐ |