Saturday, August 30, 2008

तारों का अन्त कैसे होता है

बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां श्रंखला की पिछली चिट्ठी में चर्चा हुई थी कि तारों में, हाइड्रोजन के हील्यिम में बदल रही है। इस प्रक्रिया में कुछ पदार्थ ऊर्जा में बदल रहा है, जो गर्मी और प्रकाश दे रहा है। इस बार चर्चा का विषय है कि जब यह समाप्त होगा, तब क्या होगा?

तारों में, ऊर्जा का उत्पादन कई चरणों में हो रहा है। पहले चरण में ऊर्जा-उत्पादन होने पर जो कुछ बचता है, वह दूसरे चरण में होने वाले ऊर्जा-उत्पादन में काम आ जाता है। इस प्रकार यह चक्र चलता रहता है। अन्त में, एक समय ऎसा भी आता है जब तारे का सारा ईंधन समाप्त हो जाता है और तारे अन्त में श्वेत वामन तारे (White dwarf), न्यूट्रॉन तारे (Neutron star) अथवा ब्लैक होल (Black hole) के रूप में बदल जाते हैं। पर इसके पहले एक प्रक्रिया और होती है वह है कुछ समय के लिये तारों का बढ़ना और उनका तेजी से चमकना।

 न्यूट्रॉन तारा

कहा जाता है कि दीपक की लौ समाप्त होने के पहले एक बार जोर दिखाती है। कुछ यही बात तारों के साथ भी हो रही है। जब हाइड्रोजन समाप्त होने लगती है तो तारे ठण्डे होने लगते हैं और सिकुड़ने लगते हैं। सिकुड़ने के कारण पुनः ऊर्जा पैदा होती है और वे पुनः गर्म होते हैं, ज्यादा तेज चमकते हैं, और विस्तार करते हैं। यह विस्तार उस तारे की संहति (Mass) के अनुसार होता है। इसके कारण वे, अधिनव तारा (Super nova) (सुपरनोवा), या नोवा (Nova), या लाल दैत्याकार तारे (red giant) बनते हैं। ज्यादा संहति वाले सुपर नोवा (supernova) और कम संहति वाले तारे लाल दैत्याकार तारे बनते हैं।

 लाल दैत्याकार तारा

हमारा सूर्य बड़े तारों में नहीं है। इसका अन्त एक लाल दैत्याकार तारे के साथ होगा। उसके बाद सफेद बौना (White dwarf ) और फिर अंधकार। लाल दैत्याकार तारा बनते समय इसकी परिधि बढ़ जायेगी और मंगल ग्रह भी इसकी चपेट में आ जायेगा। हम सब तो जरूर ही मिट जायेंगे, लेकिन घबराने की कोई बात नहीं इसमें लगभग ५.५ अरब साल लगेंगे।


सबसे भारी तारे सुपर नोवा में तब्दील होंते हैं। वे सबसे ज्यादा चमकीले भी होते हैं। वे इतने चमकीले होते हैं कि दिन में भी दिखायी पड़ते हैं। इनकी परिधि इतनी होती है कि वे अपने सौर मंडल को, यदि उनके पास हो तो, समाप्त कर देंगे। इनके अन्दर का हिस्सा बाद में न्यूट्रान स्टार या ब्लैक होल में बदल जाता है।



क्रैब नेब्यूला

सबसे प्रसिद्घ सुपरनोवा, १०५४ ईसवी में देखा गया था। इसके बारे में चीन और अरब के खगोलशास्त्रियों ने लिखा है। यह दिन में भी, २३ दिन तक दिखायी पड़ा और ६५५ रातों में यानि लगभग दो साल तक दिखायी पड़ा। इसके बाहर का हिस्सा क्रैब नेब्यूला (Crab Nebula) के नाम से जाना जाता है। यह वृष (Taraus) राशि के अन्दर है। इसके अन्दर का हिस्सा एक न्यूट्रॉन स्टार (pulsating star) है। यह एक सेकेण्ड में ३० चक्कर लगा रहा है। यह हमारी आकाशगंगा में है और हम से ६,३०० प्रकाश वर्ष दूर है। एक प्रकाश वर्ष वह दूरी है जो प्रकाश एक साल में तय करता है।


अगली बार चर्चा करेंगे उस विज्ञान कहानी की, उस तारे की, जो सुपरनोवा के संदर्भ में लिखी गयी। यह एक प्रसिद्ध कहानी है जिस पर पुरस्कार भी मिल चुके हैं और उसका कुछ संबन्ध इस श्रंखला से भी है।

इस चिट्ठी के चित्र विकीपीडिया के सौजन्य और उसी की शर्तों के अन्दर

बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां
भूमिका।। प्रभू ईसा का जन्म बेथलेहम में क्यों हुआ?।। क्रिस्मस को बड़ा दिन क्यों कहा जाता है।। क्या ईसा मसीह सिल्क रूट से भारत आये थे।। बेथलेहम का तारा क्या था।। बेथलेहम का तारा उल्कापिंड या ग्रहिका नहीं हो सकता।। पिंडों के पृथ्वी से टक्कर के कारण बने प्रसिद्ध गड्ढ़े।। विज्ञान कहानियां क्या होती हैं और उनका मूलभूत सिद्धान्त।। विज्ञान कहानियों पर पुरुस्कार।। उल्का, छुद्र ग्रह, पृथ्वी पर आधारित विज्ञान कहानियां और फिल्में।। धूमकेतु या पुच्छल तारा क्या होते हैं।। हैली धूमकेतु।। पुच्छल तारों पर लिखी विज्ञान कहानियां।। बेथलेहम का तारा - ग्रह पास आ गये थे।। ग्रहण पर आधारित कहानियां।। जब रात हुई।।  तारे, उनका वर्गीकरण, और वे क्यों चमकते हैं।। तारों का अन्त कैसे होता है।।

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Tuesday, August 26, 2008

आइम् लविंग इट

यदि आप यह सोचते हैं कि मैं मैक्डॉनल्ड के विज्ञापन के बारे में बात करने जा रहा हूं तो आप गलतफ़हमी में हैं। न तो मुझे फास्ट फूड अच्छा लगता है और न ही मैं मैक्डॉनल्ड जाता हूं। मैं तो आपसे आज एक खास दिन (२० सितम्बर) और एक खास सॉफ्टवेयर {युबुन्टू (Ubuntu)} के बारे में बात करना चाहता हूं।


'उन्मुक्त जी, २० सितम्बर को क्या खास है, लगता है कि आपका जन्मदिन है?'

अरे नहीं। यह मेरा जन्मदिन नहीं है पर बहुतों के लिये वैलेंटाइन डे से कम नहीं है।



मुक्त सॉफ्टवेयर प्रेमी लोग साल में एक दिन मुक्त सॉफ्टवेयर दिवस मनाते हैं। इस दिन वे मुक्त सॉफ्टवेयर के बारे में सम्मेलन कर, लोगों को इसके महत्व के बारे में बताते हैं और उन्हें जागरूक करने का प्रयत्न करते हैं। इस साल, यह २० सितम्बर को मनाया जायगा। इसके बारे में मैंने पिछले साल भी लिखा था। इस साल के बारे में आप यहां विस्तार से पढ़ सकते हैं और कहां कहां मनाया जा रहा है देख सकते हैं।

अभी तक भारत में मानाये जाने का जगहों का नक्शा


उत्तर, पश्चिम, और मध्य भारत में यह कम जगह मनाया जा रहा है। मुझे आश्चर्य है कि यह दिल्ली में नहीं मनाया जा रहा है - कम से कम अभी तक वहां के लोगों ने अपने को रजिस्टर नहीं कराया है। पूर्वी भारत में यह केवल कलकत्ता में मनाया जा रहा है। दक्षिण भारत में तो यह जगह जगह मानाया जा रहा है। इससे आप देश भर में सूचना प्रद्योगिकी की प्रगति का अन्दाज कर सकते हैं।


कैनोनिकल लिमिटेड (Canonical Ltd), इस साल मुक्त सॉफ्टवेयर दिवस के प्रायोजक में से एक हैं। वे इसके उपलक्ष में सीडी भेंट कर रहे हैं। अभी देरी नहीं हुई है यदि यह आपके शहर में नहीं मनाया जा रह है तो अपने को रजिस्टर करवायें और कुछ प्रोग्राम करें। ख्याल रहे, १४ सितम्बर को हिन्दी दिवस भी है जो कि २० कि बिलकुल पहले है - उस दिन हिन्दी में बात करना है।



'उन्मुक्त जी, यदि हम इसका आयोजन अपने शहर में करें तो आप आयेंगे न!'

इस साल तो नहीं, फिर कभी। इस साल तो मेरी तो बुकिंग हो चुकी है शायद आपके ही शहर में हो। इसलिये यदि कोई सम्मेलन हो जाइयेगा अवश्य, हो सकता है वहीं हमारी मुलाकात हो जाय :-)


'उन्मुक्त जी, कैनोनिकल लिमिटेड कंपनी क्या करती है? उसका मुक्त सॉफ्टवेयर से क्या सम्बन्ध है?'

कैनोनिकल लिमिटेड (Canonical Ltd) एक साउथ अफ्रीकन कंपनी है। यह युबुन्टू (Ubuntu) नामक एक मुक्त एवं मुफ़्त ऑपरेटिंग सिस्टम निकालती है। यह डेबियन लिनेक्स पर आधारित है और सबसे पहले २० अक्टूबर २००४ को प्रकाशित किया गया था।


युबुन्टू, ज़ुलू (Zulu) भाषा के शब्द युबुन्टू से लिया गया है जिसका अर्थ है - मानवता। युबुन्टू का ध्येय है कि वह साधारण व्यक्ति - जिसे कंप्यूटर का कोई ज्ञान न हो उस - के लिये एक स्थायी और अच्छा ऑपरेटिंग सिस्टम बनाये। वे सॉफ्टवेयर के लिये पैसा तो नहीं ले सकते हैं इसलिये उसमें सेवाये दे कर पैसा कमाते हैं।


मेरे लैपटॉप में रेडहैट लिनेक्स एन्टरप्राइस-५ है पर मैं अपने डेस्कटॉप में लिनेक्स के अलग अलग डिस्ट्रीब्यूशन डालता रहता हूं। मैंने मैनड्रिवा (Mandriva), सुज़े (SuSe) पर काम किया है पर बहुत समय पर फिडोरा (Fedora) पर काम कर रहा था। दो महीने पहले मैंने डेस्कटॉप पर फिडोरा-९ डाला। उस समय इसमें कुछ मुश्किलें थीं और मुझे उसे हटाना पड़ रहा था। मेरे पास विकल्प था कि मैं वापस फिडोरा-८ पर चला जाऊं या फिर कुछ नया डिस्ट्रीब्यूशन डालूं। मेरे पास कुछ लोग युबुन्टू की समस्याओं के बारे में ई-मेल करते हैं मुझे लगा कि क्यों न मैं इसे ही डाल कर देखूं।
बस मैंने इसे अपने डेस्कटॉप पर डाला दिया और दो महीने से इसी पर काम करता हूं।


युबुन्टू में हिन्दी का अच्छा समर्थन है। इसमें हिन्दी के इन्सक्रिप्ट (Inscript) और फोनेटिक (phonetic) कीबोर्ड हैं पर रेमिंगटन कीबोर्ड नहीं है। दफ्तरों में हिन्दी टाइपिस्ट अधिकतर रेमिंगटन कीबोर्ड जानते हैं इसलिये शायद यह वहां न चल पाये पर मुझे कोई अन्तर नहीं पड़ता। मैं तो फोनेटिक कीबोर्ड का प्रयोग करता हूं।


आप आसानी से, युबुन्टू में अपनी तरफ से न तो कोई नया प्रोग्राम नहीं डाल सकते हैं न ही किसी प्रोग्राम को अपग्रेड नहीं कर सकते हैं। कम से कम मेरा जैसा व्यक्ति तो नहीं। शायद इसके लिये आपको कंप्यूटर विशेषज्ञ होना चाहिये। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि इसके बनाने वाले सारे प्रोग्रामों के अपग्रेड को स्वयं टेस्ट करते हैं और जब उन्हें स्थायी पाते हैं तो फिर आपको अपग्रेड करने की सुविधा देते हैं। वे लोग यह काम, शायद इसलिये करते हैं कि वे आपको स्थायी ऑपरेटिंग सिस्टम देना चाहते हैं। इसलिये जब तक प्रोग्रामों की टेस्टिंग पूरी नहीं हो जाती है वे आपको आसानी से अपग्रेड नहीं करने देते हैं। इसका नया वर्ज़न भी लगभग छः महीने के अन्तराल पर आता है।


'उन्मुक्त जी यह सब तो ठीक है पर यह बताइये कि इन सब का इस शीर्षक से क्या सम्बन्ध है।'


उंह हूं - मैं भी कैसा भुलक्कड़ हूं। यह तो बताना मैं भूल ही गया,
I'm loving it :-)

लोग कहते हैं कि साउथ अफ्रीका सुन्दर जगह है। हो सकता है कि निकट भविष्य में मैं आपको अफ्रीकन जंगल सफारी पर ले चलूं।

हिन्दी में युबुन्टू के बारे में अन्य जगह जानकारी
उबुन्तु लिनक्स में हिन्दी सक्षम कैसे करें


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Saturday, August 23, 2008

सावधान, खबरदार - ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर में भी कॉपीराइट होता है

इस चिट्ठी में बताया गया है कि ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर में किस तरह से कॉपीराइट होता है।
'ऐं..? उन्मुक्त जी, यह क्या कह रहे हैं - ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर में भी कॉपीराइट। सब ठीक ठाक तो है न'

प्रत्येक ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर कॉपीलेफ्टेड होता है पर अलग अलग लाइसेंस में इसका स्तर अलग अलग होता है। जनरल पब्लिक लाइसेन्स {General Public License (GPL) जी.पी.एल.} के अन्दर प्रकाशित ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर का सबसे ज्यादा कॉपीलेफ्टेड होता है। बर्कले सॉफ्टवेयर डिस्ट्रीव्यूसन {(Berkelay Software Distribution) (BSD) (बीएसडी)} के अन्दर प्रकाशित सॉफ्टवेयर सबसे कम कॉपीलेफ्टेड होता है।

कोई भी सॉफ्टवेयर, ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर तब तक नहीं हो सकता जब तक कि
  • उसके प्रयोग एवं संशोधन की छूट न हो, और
  • यह बिना रॉयल्टी दिये न किया जा सके।
यही कारण है कि यदि आप ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर का प्रयोग या संशोधन करते हैं तो कभी कॉपीराइट का कोई उल्लघंन नही होता है। इसलिये, बहुत से लोगों को गलतफ़हमी है कि ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर में कोई भी कॉपीराइट नहीं होता है। यह सच नहीं है। ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर में भी कॉपीराइट होता है जिसका अक्सर लोग उल्लंघन करते हैं।

ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर को प्रयोग एवं संशोधन करने की हमेशा स्वतंत्रता रहती है पर यह स्वतंत्रता कुछ शर्तों पर मिलती हैं। क्या यह शर्ते सिर्फ संविदा की शर्तें हैं या कॉपीराइट की भी?

ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर की शर्ते यदि केवल संविदा की शर्तें है तो उनका उल्लघंन करने पर सिविल कार्यवाही की जा सकती है। पर यदि यह कॉपीराइट की शर्तें हैं तो सिविल कार्यवाही के साथ साथ दाण्डिक कार्यवाही भी की जा सकती है और निषेधाज्ञा भी मिल सकती है। सच तो यह है कि कॉपीराइट के अधिकार, संविदा के अधिकारों से कुछ ऊपर स्तर के होते हैं। इसलिए यदि शर्तें कॉपीराइट की शर्तें है तो ज्यादा मजबूत कार्यवाही की जा सकती है।

ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर की शर्तें कॉपीराइट की शर्तें हैं। उनका उल्लंघन कॉपीराइट का उल्लंघन है।

ओपेन सॉफ्टवेयर की शर्ते आपको इसका प्रयोग करने व इसे संशोधित करने की अनुमति देता है। यह स्वतंत्रता आपको उसके अन्दर लिखी गई शर्तों के पालन करने पर ही मिलती है। इसका अर्थ यह हुआ कि ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर की शर्तें कॉपीराइट की शर्त है न की संविदा की। इसलिए उनका उल्लघंन करना कॉपीराइट का उल्लघंन होगा न केवल संविदा का ही। इसमें भी चोरी हो सकती है।
ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर, कॉपीराइट का प्रयोग करते हुऐ ही कॉपीलेफ्टेड किया जाता है। इसलिए यह सोचना या कहना कि इसमें कॉपीराइट नहीं होता है, गलत है ।


'उन्मुक्त जी, यह सब केवल आपका ख्याली पुलाव है, या फिर, आपके कथन के समर्थन में कुछ सामग्री है।'
अरे भाई, अरे बहना - बहुत कुछ है।
'तो चलिये बताईये न, चुप क्यों हो गये।'
इंतजार कीजिये, इतनी भी जल्दी क्या है। इस श्रंखला की अगली कड़ी में, इस समय के सबसे चर्चित मुकदमें के तथ्यों की बात करेंगे, और चर्चा करेंगे न केवल चोरी की पर सीनज़ोरी की भी। अब यह बताने की जरूरत तो नहीं होनी चाहिये कि इस श्रंखला की अगली कड़ी का क्या शीर्षक होगा। अरे यही तो होगा - उलटा चोर कोतवाल को डांटे।

ओपेन सोर्स सौफ्टवेयर श्रंखला की पुरानी कड़ियां
ओपेन सोर्स सौफ्टवेयर एवं हिन्दी ब्लौगिंग।। ओपेन सोर्स सौफ्टवेयर।। चर्चा के विषय चर्चा के विषय।। गलतफ़हमी।। सौफ्टवेयर क्या होता है।। बौधिक सम्पदा अधिकार।। कॉपीराइट एवं ट्रेड सीक्रेट।। सॉफ्टवेयर कैसे सुरक्षित होता है।। कॉपीलेफ्ट।। फ्री सॉफ्टवेयर: इतिहास।। फ्री तथा जीपीएल्ड (GPLed) सौफ्टवेर की शर्तें।। ओपेन सोर्स सौफ्टवेर - क्या है।। सावधान, खबरदार - ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर में भी कॉपीराइट होता है।। उलटा चोर कोतवाल को डांटे।। लोकप्रिय ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर।। ओपेन सोर्स की पाती - बिटिया के नाम।। वेलेंटाइन दिवस, ओपेन सोर्स के साथ मनायें।। परिवर्णी शब्द ( acronym)।। इसका महत्व।। लिनूस टोरवाल्डस एवं बिल गेट्स के विचार।। कछुवा, खरगोश और ओपेन सोर्स।।

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Tuesday, August 19, 2008

मंदाकिनी झरना - 'राम तेरी गंगा मैली' फिल्म वाला

मंदाकिनी झरना
 इस चिट्ठी में गैंगटॉक और नाथुला पास के रास्ते में घूमने की जगहों के बारे में चर्चा है।

Tuesday, August 12, 2008

तारे, उनका वर्गीकरण, और वे क्यों चमकते हैं

'बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां' श्रंखला कि इस चिट्ठी में 'तारे, उनका वर्गीकरण और वे क्यों चमकते हैं' के बारे में चर्चा है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।

आकाश में रात्रि में चमकते तारे वास्तव में सूर्य हैं। सभी तारे एक रंग के नहीं होते? दूर से नंगी आँखों से देखने पर वे भले ही चमकदार प्रतीत हों, परन्तु टेलिस्कोप द्वारा देखने पर उनके रंग भिन्न-भिन्न दिखाई देते हैं। इसका कारण है तारों का भिन्न-भिन्न तापमान - रंग , सतह के तापमान पर निर्भर करता है। जैसे कि बिजली के बल्ब का प्रकाश पीला होता है, जबकि बिजली का हीटर गर्म होने पर लाल हो जाता है। ठीक इसी प्रकार अधिक गर्म तारे नीले रंग के दिखाई देते हैं, जबकि उनकी अपेक्षा ठंडे तारे लाल प्रतीत होते हैं। हमारा सूर्य न तो बहुत अधिक गर्म है, न ही बहुत ठंडा, इसलिए वह पीला दिखायी देता है।




कृतिका तारा समूह (pleiades), जिसे देहात में कचबचिया भी कहा जाता है। यह तारे सप्त ऋषियों की पत्नियां भी कहे जाते हैं


उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त मैं हार्वड वेधशाला ने तारों का वर्गीकरण (stellar classification) इनसे निकली रोशनी का विश्लेषण (जो कि मोटे तौर पर उनके तापमान पर निर्भर करता है) कर इनका वर्गीकरण किया। इस वर्गीकरण को A से शुरू होकर M तक के अक्षरों तक के एल्फाबेट (मुझे इसकी हिन्दी नहीं मिली, क्या कोई बतायेगा) दिखाया गया। बाद मे कुछ वर्ग छोड दिये गये, कुछ दूसरे जोड़ दिये गये और एक नया वर्ग O भी जोड़ा गया। इन सब के बाद वर्ग A, B, F,G, K, M, औरO बचे। अब इनको याद कैसे रखा जाय। इसलिये एक वाक्य बनाया गया। उसके हर शब्द का पहला एल्फाबेट एक वर्ग को चिन्हित करता है। यह वाक्य है,
'Oh Be A Fine Girl Kiss Me'
इसके बाद तीन नये वर्ग जोड़े गये जिन्हे R, N, और S इन एल्फाबेट को याद करने के लिये नया वाक्य बनाया गया
'Right Now Sweetheart'
मैंने इस वर्गीकरण के बारे में यहां विस्तार से लिखा है।

हमसे सबसे पास तारा - हमारा सूरज

पृथ्वी पर उर्जा के स्रोत समाप्त हो रहे हैं पर सूरज और तारे कहां से इतनी उर्जा ला रहे हैं। वे अरबों साल से रोशनी और गर्मी दे रहे हैं और अरबों साल तक देते रहेंगे। कहां से वे ला रहे हैं इतनी उर्जा।

यह मुश्किल विषय है पर आसान तरीके से यह कहा जा सकता है कि सूरज और तारों पर प्रति संकेण्ड लाखों हाइड्रोजन बम्ब फूट रहे हैं। इसी कारण वे इतनी उर्जा प्रदान कर रहे हैं। मोटे तौर पर हाइड्रोजन हील्यिम में बदल रही है। इस प्रक्रिया में कुछ पदार्थ उर्जा में बदल रहा है। जिसके कारण रोशनी और गर्मी मिल रही है। यह सब अलबर्ट आइंस्टाइन (Albert Einstein) के प्रसिद्घ सिद्घान्त E=mc2 के कारण हो रहा है। इस समीकरण में E वह ऊर्जा है जो m संहति के उत्पन्न हो रही है और c प्रकाश का वेग है।

यह चित्र १ जुलाई १९४६ टाईम पत्रिका के कवर से है

कभी न कभी तो सारी हाइड्रोजन हील्यिम में बदल जायगी, उर्जा का स्रोत समाप्त हो जायगा - तब क्या होगा? इसकी चर्चा अगली बार।

इस चिट्ठी के पहले दोनो चित्र विकीपीडिया के सौजन्य से हैं और उसी की शर्तों के अन्दर हैं।

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tare kyon chamkte hain, unka vergeekarn kis prkaar kiya gayaa hai - is post per, isse baat kee charchaa hai. yeh hindi (devnagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

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Thursday, August 07, 2008

आप सही हैं ... मैं बदलाव कर रहा हूं

मुझे कुछ दिन पहले बैंगलोर जाने का मौका मिला। हवाई जहाज पर मेरे आगे एक अधेड़ उम्र के सज्जन और एक युवती जो कि उनकी लड़की की उम्र की होगी बैठी थी। मैं नहीं कह सकता कि वह उनकी पुत्री थी या फिर भतीजी या फिर ऑफिस में काम करने वाली सहयोगी या उनकी सक्रेटरी। वे रास्ते भर बात करते रहे। उनके बात करने के तरीके से लगा कि वह युवती उनकी पुत्री नहीं है। अक्सर वे जोर जोर से बाते करते थे पुरुष युवती को कुछ समझा रहा था। मुझे उनकी बात नहीं सुननी चाहिये थी पर जब काम न हो तो बात कान में घुस ही जाती है।



पुरुष, युवती को तन्मयता से ज्योतिष के बारे में समझा रहा था। वह बता रहा था कि ज्योतिष में किस घर में क्या हो, तो क्या होता है। कुछ देर बाद उसने अपना मोबाईल फोन निकाल लिया। वह कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति था क्यों कि हवाई जहाज पर मोबाइल चलाना मना है। वे दोनो उस पर ज्योतिष से संबन्धी खबरें/ सूचना देख रहे थे।

ज्योतिष का कोई आधार नहीं है। आप किस समय पैदा हुऐ हैं, या उस समय ग्रहों की क्या स्थिति है - उस कारण आपका भविष्य नहीं तय हो सकता है। यदि आपको १९८० के दशक में दूरदर्शन की याद हो तो आप हर रविवार को आने वाले टीवी सीरियल Cosmos को नहीं भूले होंगे। यह कार्ल सेगन ने ही बनाया थी। इसके बाद इसी नाम से यह पुस्तक के रूप में भी प्रकाशित हुई। निःसन्देह बीसवीं शताब्दी में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में कार्ल सेगन (Carl Sagan) एक थे - आप अन्य ऐसे लोगों में आइज़ेक एसीमोव (Issac Asimov), आर्थर सी क्लार्क (Arthur C. Clark), मार्टिन गार्डनर (Martin Gardner) को रख सकते हैं। ज्योतिष के बारे में मेरे विचार कुछ कार्ल सेगन जैसे हैं। वे कहते हैं,


मैंने अपने विचारों को विस्तार से इसी चिट्ठे में 'ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके' नामक श्रंखला कड़ियों में लिखा है। इसकी पहली चिट्ठी यहां और अन्तिम चिट्ठी यहां है। इसके बाद इनको समायोजित कर एक जगह अपने लेख चिट्ठे पर ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके नाम से रखा है। इसमें मैंने यह बताने का प्रयत्न किया है कि ज्योतिष एक तरह का अंधविश्वास या फिर टोना टुटका है।


ज्योतिष पर विश्वास करना, उसके बारे में बात करना हमारे रगो में इतना घुल मिल गया है। यदि आप देखें कि हिन्दी में कौन से शब्दों पर सबसे ज्यादा खोज हो रही है तो आप पायेंगे कि वे ज्योतिष (Astrology), हस्तविद्या (Palmistry), अंक विद्या (Numerology) से संबन्धित शब्द हैं या सेक्स से संबन्धित। शायद सबसे ज्यादा देखी गयी चिट्ठियां, इन्ही शब्दों का प्रयोग कर देखी गयी हैं।


मेरे लेख चिट्ठे में कोई नयी चिट्ठी नहीं रहती। जो चिट्ठियां मैं इस चिट्ठे (उन्मुक्त) में कड़ियों में लिखता हूं, उसे बाद में समायोजित कर लेख चिट्ठे पर रखता हूं। लेख चिट्ठे पर सबसे ज्यादा, १३३ बार, लोग १० जुलाई २००८ को आये। यह लोग सर्च करके ही आये थे। इसमें १०७ लोगों ने 'ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके' चिट्ठी को देखा और ९४ लोग ज्योतिष या हस्तविद्या संबन्धित शब्दों को सर्च कर आये थे। इस चिट्ठी को अभी तक ७१६४ बार पढ़ा गया है। सच तो यह है कि इस चिट्ठे पर यदि कोई नयी चिट्ठी भी पोस्ट होती है तब भी इतने लोग नयी चिट्ठी को पढ़ने नहीं आते हैं।

'ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके' चिट्ठी पढ़ने के बाद कुछ पाठक अपना भविष्य जानने के लिये मुझसे सवाल पूछते हैं, कुछ मुझसे ज्योतिष सीखना चाहते हैं तो कुछ यह भी कहते हैं,
'आप जैसे ही [उन्मुक्त की तरह] लोगों की वजह से क्या हमारा विज्ञान पीछे नहीं हो गया है।'
मेरे विचार में
'शुरू के ज्योतिषाचार्य एक उत्तम खगोलशात्री थे, वैज्ञानिक थे। वे तब तक वैज्ञानिक थे जब तक वे तारों की गति, स्थिति के बारे में ज्ञानार्जन करते थे। इससे, हमारे जीवन में कोई असर नहीं होता - यह अन्धविश्वास है, इसमें कोई सत्यता नहीं है। हां, जब कोई आपके बारे में बात करता है, या आपके कष्ट निवारण की बात करता है तो आपको अच्छा लगता है।
हमारा विज्ञान किसकी वजह से पीछे हुआ है यह समझने की बात है, बहस की जरूरत तो नहीं होनी चाहिये। मेरे जैसे विचार रखने वाले बहुत कम लोग हैं ज्यादातर लोग तो ज्योतिष को सच मानते हैं। यदि सच न भी माने तो भी अधिकतर लोग उसके अनुसार कार्य करते हैं।'


यह सब न केवल मुझे निराश करता है पर दुखी भी करता है। हां, मेरे उन्मुक्त चिट्ठे पर रोज लगभग ४ या ५ लोग बूरबाकी शब्द पर सर्च कर 'शून्य, जीरो और बूरबाकी' की चिट्ठी पढ़ने आते हैं यह न केवल मुझे हैरत में डालता है पर आशा कि किरण भी दिखायी देती की लोग हिन्दी में भी बूरबाकी के बारे में जानना चाहते हैं।


'उन्मुक्त जी, शीर्षक देख कर लगता तो लगता है कि आप अपने विचार बदल रहे हैं।'


मैं आजकल एक पुस्तक Jean-Claude Carrière की लिखी पुस्तक 'Please Mr. Einstein' पढ़ रहा हूं। इसमें भविष्य से एक युवती आ कर आईंस्टाइन का साक्षात्कार लेती है। यह एक काल्पनिक कहानी है पर किस्से और आईंस्टाइन जो बातें उसे बताते हैं, वे सच हैं। वे सब आईंस्टाइन से कहीं न कहीं जुड़ी हैं।


आईंस्टाइन उसे बताते हैं कि वे कोशिश करते हैं कि सारे पत्रों का जवाब दे सकें। उनके पास अक्सर ऐसे भी पत्र आते थे जिसमें लिखा होता था कि उनके द्वारा निकाले गये विज्ञान के सिद्धान्त गलत हैं उनका ऐसे पत्रों का जवाब होता था,
'I always say that they're right and thank them for their help. I tell them, thanks to them, I am going to revise my ideas on such and such subject. They usually leave me in peace after two or three exchanges. If I enter into the lease debate they'd reply, and our corresondence would never end.'
आप सही हैं ... मैं बदलाव कर रहा हूं ...

मुझे भी, बड़े व्यक्तियों से सीखना चाहिये।

इस चिट्ठी के पहले दो चित्र विकिपीडिया से हैं और उसी की शर्तों में हैं।

हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
(सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।: Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. Click where 'Download' and there after name of the file is written.)
यह ऑडियो फइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप -
  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में - सुन सकते हैं।
बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले।

बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर लें।
Zemanta Pixie

Sunday, August 03, 2008

क्या ईसा मसीह सिल्क रूट से भारत आये थे

मैंने पिछली चिट्ठी पर वायदा किया था कि नथुला पास में कुछ ऐसा पता चला, जिसने मुझे हिन्दी चिट्ठाजगत पर पूछे गये सवाल - क्या ईसा मसीह ने भारत आकर अध्यात्मक शिक्षा ली - की याद दिला थी। इस चिट्ठी पर उसी बात यानि - सिल्क रूट - की चर्चा है और इसी के साथ चिट्ठाजगत पर पूछे गये सवाल का जवाब है।

सिल्क रूट क्या है?
पुराने समय में चीन भारत और पश्चिमी देशों के बीच रेश्म का व्यापार हुआ करता था। यह कई रास्तों से जाता था। इन्हें 'सिल्क रूट' कहा जाता था। इसमें एक रास्ता नथुला पास होकर जाया करता था। १९६२ में भारत - चीन युद्व के बाद यह रास्ता बंद कर दिया। यह पुन: ६ जुलाई २००६ में खोला गया। इस रास्ते से पुनः व्यापार हो रहा है। हमें वहां चीन के कई ट्रक मिले जिसमें चीन से समान भारत आया था।


नथुला पास जाने पर ५० रुपये में आप को सर्टिफिकेट मिल सकता है कि आप नथुला पास गये थे। यह कोई भी बनवा सकता है। आपको केवल पैसे देने पड़ते हैं आप जो नाम चाहें वह दे सकते हैं। देखिये अब तो आपको विश्वास हो गया न कि मैं भी वहां गया था। यह सर्टिफिकेट एक सुन्दर से फोल्डर के अन्दर रख कर मिलता है।
इस फोल्डर के अन्दर के हिस्से में सिल्क रूट का नक्शा बना है और इसके बारे में सूचना लिखी है। मुझे सिल्क रूट से ही हिन्दी चिट्ठाजगत पर पूछे गये सवाल की याद आयी थी।

क्या ईसा मसीह ही सेंट ईसा (Saint Issa) थे और भारत आये थे?
निकोलस नोतोविच (Nicolas Notovitch) एक रूसी अन्वेषक था। उसने कुछ साल भारत में बिताये। बाद में, उन्होने फ्रेंच भाषा में 'द अननोन लाइफ ऑफ जीज़स क्राइस्ट' (The unknown life of Jesus Christ) नामक पुस्तक लिखी है।

निकोलस नोतोवच का चित्र विकिपीडिया से और उसी की शर्तों में
Book cover of पुस्तक के कवर का चित्र अमेज़ॉन से
निकोलस के मुताबिक यह पुस्तक हेमिस बौद्घ आश्रम (Hemis Monastery) में रखी पुस्तक (The life of saint Issa) पर आधारित है। उस समय हेमिस बौद्घ आश्रम लद्दाक के उस भाग में था जो कि भारत का हिस्सा था। हांलाकि इस समय यह जगह तिब्बत का हिस्सा है। यह आश्रम इसी तरह के सिल्क रूट पर था।

यह रहस्य की बात है कि ईसा मसीह ने १३ साल से ३० साल तक क्या किया। इस पुस्तक के आधार पर निकोला का कहना है कि,
  • इन सालों में ईसा मसीह सिल्क रूट के द्वारा भारत आये थे
  • उन्होंने यहां में बौद्घ धर्म पढ़ने में बिताया,
  • उसके बाद बौद्घ धर्म से प्रेरित होकर धर्म की शिक्षा दी।
मुझे धर्म के बारे में कम ज्ञान है में नहीं जानता कि बौद्घ धर्म और इसाई धर्म में संबंध है अथवा नहीं। मैं इतिहास का भी अच्छा जानकार नहीं हूं। मैं नहीं कह सकता कि,
  • यह कहानी सच है अथवा नहीं?
  • ईसा मसीह वास्तव भारत आए थे अथवा नहीं?
  • ईसा मसीह ने बौद्घ धर्म की शिक्षा ली थी अथवा नहीं?
  • ईसाई धर्म बौद्घ धर्म से प्रेरित है अथवा नहीं?
पर मैं इतना अवश्य जानता हूं कि इस पुस्तक के बारे में विवाद है और इस तरह के विवाद का संतोषजनक जवाब दे पाना मुश्किल है। आपमें किसी को अच्छा ज्ञान हो तो बतायें।

'बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां' की अगली कड़ी मे हम लोग तारों की बात करेंगे और सिक्किम यात्रा की अगली कड़ी मे बात होगी नथुला पास से लौटते समय हम लोग कहां गये थे।

बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां
भूमिका।। प्रभू ईसा का जन्म बेथलेहम में क्यों हुआ?।। क्रिस्मस को बड़ा दिन क्यों कहा जाता है।। बेथलेहम का तारा क्या था।। बेथलेहम का तारा उल्कापिंड या ग्रहिका नहीं हो सकता।। पिंडों के पृथ्वी से टक्कर के कारण बने प्रसिद्ध गड्ढ़े।। विज्ञान कहानियां क्या होती हैं और उनका मूलभूत सिद्धान्त।। विज्ञान कहानियों पर पुरुस्कार।। उल्का, छुद्र ग्रह, पृथ्वी पर आधारित विज्ञान कहानियां और फिल्में।। धूमकेतु या पुच्छल तारा क्या होते हैं।। हैली धूमकेतु।। पुच्छल तारों पर लिखी विज्ञान कहानियां।। बेथलेहम का तारा - ग्रह पास आ गये थे।। ग्रहण पर आधारित कहानियां।। जब रात हुई।। क्या ईसा मसीह सिल्क रूट से भारत आये थे

सिक्किम यात्रा
क्या आप इस शख्स को जानते हैं?।। सिक्किम - छोटा मगर सुन्दर।। गैंगटॉक कैसे पहुंचें।। टिस्ता नदी (सिक्किम) पर बांध बने अथवा नहीं।। नाथुला पास – भारत चीन सीमा।। क्या ईसा मसीह सिल्क रूट से भारत आये थे ।।

हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
(सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।: Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. Click where 'Download' and there after name of the file is written.)

यह ऑडियो फइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप -
  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में - सुन सकते हैं।
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silk route natu la pass pr hai. is post per yhan ke baare mein charchaa hai. yeh bhi bataaya gayaaa hai ki kya jesus christ is raste se bharat aaye the. yeh hindi (devnagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.
This post talks about silk rute at Natu la pass and discusses if Jesus Chrish had come to India by this route. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.


सांकेतिक शब्द

Gangtok, Sikkim, गैंगटॉक, सिक्किम, Travel, Travel, travel and places, Travel journal, Travel literature, travelogue, सिक्किम, सैर सपाटा, सैर-सपाटा, यात्रा वृत्तांत, यात्रा-विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा संस्मरण,

Jesus christ,

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