इस उपन्यास के हीरो विलियम फॉग नाम के एक अंग्रेज है। एक दिन फॉग क्लब में मित्रों के साथ बैठे थे। उस दिन डेली टेलीग्राफ में खबर छपी थी कि बम्बई और कलकत्ता के बीच में रेलवे लाइन बिछ गयी है और पूरी दुनिया ८० दिन में घूमी जा सकती है। फॉग समझता है कि ऎसा किया जा सकता है और उसके मित्र कहते हैं कि ऎसा नहीं किया जा सकता है। इस बात पर उन लोगों के बीच २० हजार पौण्ड की शर्त लग जाती है और फॉग, अपने फ्रांसीसी नौकर के साथ उसे पूरा करने के लिए २ अक्टूबर १८७२ को रात ८-४५ बजे लंदन से चल देता है। उसे शर्त जीतने के लिये, ८ दिसम्बर १८७२ तक क्लब में वापस आना है। उनका मार्ग इस प्रकार है,
लंदन से स्वेज
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ट्रेन व स्टीमर द्वारा
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७ दिन
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स्वेज से बम्बई
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स्टीमर द्वारा
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१३ दिन
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बम्बई से कलकत्ता
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ट्रेन द्वारा
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३ दिन
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कलकत्ता से हांगकांग
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स्टीमर द्वारा
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१३ दिन
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हांगकांग से याकोहामा
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स्टीमर द्वारा
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६ दिन
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हांगकांग से सैनफ्रांसिस्को
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स्टीमर द्वारा
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२२ दिन
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सैनफ्रांसिस्को से न्यूयार्क
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ट्रेन द्वारा
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७ दिन
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न्यूयार्क से लंदन
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स्टीमर द्वारा
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९ दिन
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कुल योग
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८० दिन
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फॉग बम्बई से कलकत्ता के लिये चलता है। इलाहाबाद में ५० मील पहले उन्हें पता चलता है कि रेलवे लाइन पूरी नहीं बनी है, इसलिए इलाहाबाद तक की दूरी किसी और तरीके से करनी होगी। वह इसके लिए, एक हाथी, २००० पॉउण्ड में खरीदता है। इलाहाबाद से १२ मील रह जाने पर उन्हें एक कारवां मिलता है। हाथी का महावत बताता है कि,
'बुन्देलखन्ड की ऑउरा नाम की रानी को सती करने के लिये ले जाया जा रहा है। ऑउरा एक पारसी महिला है जो बम्बई के अमीर व्यापारी की लड़की है। उसकी शिक्षा अंग्रेजी में हुयी है पर उसके अनाथ हो जाने के कारण उसकी शादी, बुन्देलखन्ड के वृद्घ राजा, से कर दी गयी थी। रानी अपने मन से सती नहीं होना चाहती है। उसे गांजा चरस पिलायी गयी है ताकि वह विरोध न कर सके।'उस समय बुंदेलखन्ड में सती प्रथा थी। अंग्रेजी की पुस्तक में रानी का नाम Aouda लिखा गया है। हिन्दी में अनुवाद की गयी पुस्तक में उसे अबदा कहा गया है पर मेरे पारसी मित्रों के अनुसार पारसियों में ऑउदा या ऑउडा या अबदा नाम नहीं होता पर ऑउरा होता है। इसीलिये मैंने यह प्रयोग किया है।
फिल्म का एक दृश्य
फॉग, ऑउरा को बचाने की तरकीब करता है। फॉग का नौकर, उसके पति की जगह लेता है और चिता के जलते समय, वह उठ खड़ा होता है। लोगों को लगता है कि कोई भूत आ गया है और यह लोग ऑउरा को लेकर भाग चलते हैं। इलाहाबाद से वे पुन: कलकत्ता के लिये ट्रेन पकड़ते हैं।
फिक्स, फॉग को कलकत्ता में गिरफतार करवा देता है। लेकिन फॉग जमानत ले कर हांगकांग भाग जाता है। ऑउरा को, हांगकांग में, अपने रिश्तेदार के पास रह जाना था। वहां पता चलता है कि ऑउरा के रिश्तेदार यूरोप चले गये हैं। इसलिये फॉग, ऑउरा को साथ लेकर आगे चलता है। उसका एक स्टीमर भी छूट जाता है पर वह दूसरा स्टीमर लेकर याकोहामा पहुंचता है। वहां से सैनफ्रांन्सिस्को और फिर ट्रेन से न्यूयार्क पहुंचता है। रास्ते में ट्रेन पर हमला हो जाता है और फॉग के नौकर को बंधक बना लिया जाता है। इन सब मुश्किलों के बीच, वह लिवरपूल पहुंचता है।
इस बीच फिक्स और फॉग में छुपा छिपी चलती रहती है। फिक्स उसे फिर से पकड़वा देता है, लेकिन तभी पता चलता है कि बैंक डकैत पहले ही पकड़ लिया गया है। फॉग को छोड़ दिया जाता है। फॉग किसी तरह लंदन पहुंचता है। फॉग हर दिन की गणना कर रहा था। गणना के कारण उसे लगता है कि उससे एक दिन की देरी हो गयी और वह शर्त हार गया है। उसका पैसा खतम हो गया था, वह गरीब हो गया। वह ऑउरा से माफी मांगता है कि वह उसे गरीबी में रख रहा है। ऑउरा कहती है कि वह उससे प्रेम करती है और शादी करना चाहती है। फॉग भी उससे प्रेम करने लगा था। वे शादी करना तय कर लेते हैं। फॉग के अनुसार वह दिन इतवार है पर पादरी बताता है कि आज शनिवार है न कि इतवार है। तब फॉग की समझ में आता है कि उसने दुनिया की यात्रा पूरब से पश्चिम की थी और उसे एक दिन का फायदा हुआ और वह शर्त नहीं हारा है। वह तुरन्त क्लब जाता है और शर्त जीत लेता है।
इस पुस्तक में दुनिया भर के जगहों का विवरण है। जूले स्वयं यूरोप से बाहर कभी नहीं गये थे फिर भी जगहों के विवरण एकदम सही हैं। यह पुस्तक को विश्वसनीय बनाते हैं। उस समय, इस पुस्तक के अंश भी अखबारों में इस तरह से छप रहे थे जैसे कि फॉग उन्हें अलग-अलग जगहों से लिखकर भेज रहा हो। यह वर्णन वास्तविकता के इतना करीब था कि लोग यह समझने लगे कि यह सच्ची कहानी है। लोगों ने इस पर अनगिनत पैसों का सट्टा लगाया कि फॉग यह शर्त जीत पायेगा कि नहीं। इसका अपना रोमांच है, उत्सुकता है भौगोलिक प्रमाणिकता है - यही कारण है कि यह आज ही मनपसन्द और पढ़ने योग्य पुस्तक है।
बीते कुछ सालों में लिखी गयी यात्रा संस्मरण की सबसे चर्चित पुस्तक, न तो यात्रा पर्यटन जगहों के बारे में है, न ही वह यात्रा अनूठी तरह से की गयी है। वह कौन सी पुस्तक है; कौन उसका लेखक है? ज्लदी क्या है - इंतजार करिये अगली बार का।