Tuesday, January 29, 2008

भूमिका: बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां

मेरी नयी श्रंखला का नाम है - 'बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां'। इस श्रंखला को लिखने का मेरा कोई भी विचार नहीं था पर मैं तो चिट्ठाकार बन्धुवों के चक्कर में इसे लिखने के लिये फंस गया। यदि आप इस श्रंखला को पढ़ कर बोर होते हैं तो यह मेरी गलती नहीं है इसके दोषी हैं अरविन्द जी और शास्त्री जी - सारा दोष उन्हीं दोनो का है। उन्होने ही मुझे फांसा है :-) पर यह ऐसा फसुवल है जिसके फंसने में अपना ही मजा है। अब यह भी सुन लीजिये कि मैं कैसे फंसा।

बाईबिल का चित्र न्यूयॉर्क प्बलिक लाइब्रेरी से, और उन्ही के सौजन्य से है।

प्रभू ईसा का जन्म की सूचना, लोगों को, एक तारे के द्वार पता चली थी। इसी तारे के सहारे पूरब से तीन बुद्धिमान राजा उन्हें सम्मान देने बेथलेहम पहुंचे थे। अरविन्द जी के अनुरोध पर, शास्त्री जी ने इस तारे के बारे में एक चिट्ठी 'वह तारा क्या था' नाम से लिखी। अरविन्द जी ने उस पर टिप्पणी की,
'धन्यवाद शास्त्री जी, आपने तो और जिज्ञासा जगा दी है। मैं उन्मुक्त जी से भी सादर आग्रह करूंगा की वे इस अद्भुत घटना पर कुछ और प्रकाश डालें, यहाँ (यदि आप अन्यथा न लें और इसकी अनुमति दें तो) अथवा अपने चिट्ठास्थल पर।'

अरविन्द जी, विज्ञान कहानियों में रुचि रखते हैं और याहू पर, इंडियन साइंस फिक्शन (Indian Science Fiction), नाम के ग्रुप का संचालन रखते हैं। मैं भी विज्ञान कहानियों में रुचि रखता हूं और हमारी मुलाकात इसी कारण हुई।

एक बार उन्होने मेरी एक चिट्ठी 'विज्ञान कहानियों के मेरे प्रिय लेखक' पर टिप्पणी कि तो मुझे उनका नाम कुछ नया सा लगा। मैं भी उनके चिट्ठे Science Fiction in India पर गया तो प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। मैं सपने में भी नहीं सोचता ता कि भारत में कोई विज्ञान कहानियों से इतना प्रेम रखता होगा। बस उसी के बाद से उनसे ई-मेल के जरिये मित्रता शुरू हुई और बाद में अरविन्द जी ने भी हिन्दी में साईब्लाग [sciblog] नाम से चिट्ठा लिखना शुरू किया।

शास्त्री जी ने अरविन्द जी को उनकी टिप्पणी के संदर्भ में जवाब दिया,
'निश्चित रुप से उन्मुक्त जी से कहें। वे मुझ से अधिक विस्तार से लिखते हैं। इतना ही नहीं, हम दोनों को एक ही विषय के पूरक लेख लिखने की आदत है, अत: मुझे किसी भी तरह से बुरा नहीं लगेगा।'
यह शास्त्री जी का बड़प्पन की वे मेरे बारे में ऐसे विचार रखते हैं।


क्रैब निहारिका (Creab Nebula) नेब्युला का चित्र नासा (NASA) के सौजन्य से है।

अरविन्द जी ने शास्त्री जी का ई-मेल मेरे पास भेज दी। बस यही कहानी है मेरे फसने की। मैंने पहले सोचा कि इस तारे के बारे में अपने विचार रख कर छुट्टी पाऊं, फिर लगा कि यह अच्छा मौका है जब मै बात कर सकता हूं,
  • बाईबिल के कस्सों की,
  • उन किस्सों से जुड़े तथ्यों की एवं खगोलशास्त्र की, और
  • उन तथ्यों एवं खगोलशास्त्र से जुड़ी कुछ विज्ञान कहानियों की।

मैं यह श्रंखला तो लिख रहा हूं पर मैं इनमें से किसी भी विषय का विशेषज्ञ नहीं हूं। मैं तो फाइलें इधर उधर करने का विशेषज्ञ हूं :-) इनमें से पहले के विशेषज्ञ हैं शास्त्री जी, तो दूसरे के हैं आशीष जी (विज्ञान विश्व एवं अंतरिक्ष – मैं नहीं जानता कि इन दोनो चिट्ठों के लेखक आशीष श्रीवास्तव जी एक ही व्यक्ति हैं या अलग, अलग व्यक्ति), और तीसरे के हैं अरविन्द जी। मैं चाहूंगा यदि गलती हो तो यह लोग भी अपने चिट्ठे पर लिख कर गलती को दूर करें। ऐसे यदि टिप्पणी करके करेंगे तो भी चलेगा :-)


मैं यह भी चाहूंगा कि अरविन्द जी अपने चिट्ठे पर विज्ञान कहानियां क्या होती है हमें बताये। इसमें यह भी लिखें कि किस कहानी को विज्ञान कहानी कहा जाता है और विज्ञान कहानियों और अन्य कहानियों में क्या अन्तर होता है।

यह अमेज़िंग स्टोरीस् पत्रिका के पहले अंक, अप्रैल १९२६ का कवर है।

मैंने दूसरे और तीसरे चित्र का प्रयोग जान-बूझ कर किया है। इसका कारण भी आपको इस श्रंखला के अन्त होते, होते समझ में आयेगा।

इस श्रंखला में हम तीन विषयों - बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियों - पर चर्चा करेंगे। मैंने इस चिट्ठी में तीन चित्र, इन्हीं विषयों का प्रतिनिधित्व करने के लिये रखे हैं। दूसरे और तीसरे विषयों के लिये मैं कोई और चित्र भी प्रयोग कर सकता था पर मैंने दूसरे और तीसरे चित्र का प्रयोग जान-बूझ कर किया है। इसका कारण भी आपको इस श्रंखला के अन्त होते, होते समझ में आयेगा।

बाईबिल में तीन स्थान महत्वपूर्ण हैं,
  • नाज़रेथ जहां मां मरियम और जोसेफ रहते थे
  • बेथलेहम जहां प्रभू ईसा पैदा हुऐ
  • जेरूसलम जहां प्रभू ईसा को सलीब पर चढ़ाया गया था।
यदि मां मरियम और जोसेफ नाज़रेथ में रहते थे तो प्रभू ईसा के जन्म के समय मां मरियम और जोसेफ बेथलेहम क्या करने गये थे? क्या वहां मां मरियम का मायका था? कुछ यह भी चर्चा करेंगे कि प्रभू ईसा का जन्म किस साल हुआ था। यह सब अगली बार।

बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां
भूमिका।।

हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
(सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।: Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. Click where 'Download' and there after name of the file is written.):
  • पुस्तक समीक्षा: माइक्रोब हंटरस् - जीवाणुवों के शिकारी (Microbe Hunters by Paul de Kruif)
  • अंतरजाल की माया नगरी की नवीनतम कड़ी: समान डोमेन नाम विवाद नीति साइबर और टाइपो स्कवैटिंग' (Uniform Domain Name Dispute Resolution Policy Cyber Typo squatting)

यह ऑडियो फइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप -
  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में - सुन सकते हैं।
बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले।

यह पोस्ट नयी श्रंखला 'बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां' की भूमिका है। यह हिन्दी (देवनागरी लिपि) में है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।

yah post meri nayee shrankhlaa 'bible, khagolshastra aur science khaniyon' kee bhoomika hai. yah {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post is introduction of my news series 'Bible, Astronomy and Science fiction'. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.


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Saturday, January 26, 2008

मैं पहुंच रहा हूं: वियाना यात्रा

मुझे बर्लिन खूबसूरत शहर लगा। मैं वहां से वियाना गया था। मेरा कैमरा हैंड बैग में था। बर्लिन हवाई अड्डे पर, एक महिला सिक्योरिटी की इंचार्ज थी। उसने कहा कि इस कैमरे से चित्र खींच कर दिखाओ। मैंने उसका चित्र लेकर उसे दिखाया। उसने कहा कि अब इसे मिटा दो। मैंने उसकी बात मान ली। बाद में मैंने पूछा यदि चित्र ही मिटवाना था खिंचवाया ही क्यों? वह कहने लगी,
'मैं देखना चाहती थी कि यह कैमरा ही है न कि कुछ और।'
लगता है कि आतंकवादियों ने हवाई जहाज उड़ाने का नया तरीका निकाल लिया है :-)

हवाई जहाज पर एक बम्बई के एक व्यापारी से मुलाकात हुई। मैंने पूछा कि वे बर्लिन कैसे आये थे। उनका जवाब था कि वे अपने लड़के से मिलने आये थे जो कि बर्लिन में यांत्रिकी इंजीनियरिंग पढ़ रहा है।

आईआईटी मद्रास, जर्मनी सरकार की सहायता से बना है। इसलिये वहां का यांत्रिकी इंजीनियरिंग विभाग बेहतरीन माना जाता है।

उन्होने बताया कि जर्मनी की यांत्रिकी इंजीनियरिंग दुनिया में मशहूर है इसीलिये उनके लड़के वहां यांत्रिकी इंजीनियरिंग पढ़ रहे हैं। आईआईटी मद्रास, जर्मनी सरकार की सहायता से बना है। इसलिये वहां का यांत्रिकी इंजीनियरिंग विभाग बेहतरीन माना जाता है। उन्होने यह भी बताया कि जर्मनी में पढ़ाई का खर्च नहीं लगता - केवल रहने और खाने का। मैंने पूछा,
'क्या यह केवल जर्मन लोगों के लिये है या सबके लिये।'
उन्होने कहा कि यह सब के लिये है। मुझे यह कम समझ में आया कि क्यों जर्मन सरकार दूसरे देश के लोगों के लिये भी शिक्षा का पैसा नहीं लेती है। अमरीका में भी ऐसा होता है पर उसके एवज में उन्हें कुछ काम, जैसे टीचिंग एसिस्टेंट बनना पड़ता है।

वियाना में मुझे एक कॉन्वेन्ट में ठहरना था। इसी बात से, मुझे रास्ते में, १९६० के दशक में देखी फिल्म, सॉउन्ड ऑफ म्यूज़िक (Sound of Music) की याद आयी। इस फिल्म से जुड़ी कुछ बातें अगली बार।

वियाना यात्रा
मैं पहुंच रहा हूं।।

यह पोस्ट मेरी वियाना यात्रा का संस्मरण है। इसमें यह चर्चा है कि मैं कैसे बर्लिन से वियाना पहुंचा। यह हिन्दी (देवनागरी लिपि) में है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।

yah post Vienna yatraa kaa sansmranna hai. ismen charchaa hai ki main kaise Berlin se Vienna Aayaa. yah hindee {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post is part my travel to Viennna. This is about how I reached Vienna from Berlin. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.


सांकेतिक शब्द
Vienna, Wien, Austriaवियाना, ऑस्ट्रिया
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Thursday, January 24, 2008

अकेले हम, अकेले तुम

है वहां,
इस समय।
यहां पर बीती,
कल की रात।
अकेले हैं हम,
अकेले हो तुम।
हो तुम दोनो,
वहां अलग,
एकदम अकेले।
हो तन्हा, तुम दोनो।
उदास मत हो,
खुशी तो बसती है दिल में,
याद करो, साथ बिताये लम्हों को,
खुशी देंगे यह हरदम।
-- मां, पापा




(मैं नहीं जानता कि इस चित्र में यह युगल जोड़ा कौन है। एक पिकनिक पर इस दृश्य को देख कर, चोरी छुपे चित्र लेने से नही रोक पाया। इस चित्र के युगल जो भी हों, जहां पर भी हों और इस चिट्ठी को पढ़ने वालों के जीवन में ऐसे लम्हें हमेशा रहें - यही कामना, यही प्रार्थना।)

ई-पाती
ओपेन सोर्स की पाती - बिटिया के नाम।। पापा, क्या आप उलझन में हैं।। बिटिया रानी, जैसी दुनिया चाहो, वैसा स्वयं बनो।। अकेले हम, अकेले तुम।।

सांकेतिक शब्द
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Tuesday, January 22, 2008

समान डोमेन नाम विवाद नीति, साइबर और टाइपो स्कवैटिंग

आज चर्चा का विषय है: 'समान डोमेन नाम विवाद नीति, साइबर और टाइपो स्कवैटिंग'। इसे आप सुन भी सकते है। सुनने के लिये प्ले करने वाले चिन्ह पर चटका लगायें। यह ऑडियो फाइल ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,
  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में,
सुन सकते हैं। ऑडियो फाइल पर चटका लगायें फिर या तो डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले। डाउनलोड करने के लिये पेज पर पहुंच कर जहां Download फिर अंग्रेजी में फाइल का नाम लिखा है, वहां चटका लगायें।
इसके पहली की कड़ियां 'डोमेन नाम विवाद क्या होता है?' सुनने के लिये प्ले करने वाले चिन्ह
पर चटका लगायें।

समान डोमेन नाम विवाद नीति
इस समय Internet Corporation for Assigned Names and Numbers (I C A N N) (आईकैन) देखता है कि डोमेन नाम व्यवस्था, सुव्यवस्थित रहे और सुचारू रूप से चले। आईकैन ने, डोमेन नाम के साथ उठ रहे विवाद को तय करने के लिये एक नीति निकाली है। इसे समान डोमेन नाम विवाद नीति Uniform Domain Name Dispute Resolution Policy (U D R P) (यूनिफार्म डोमेन नेम डिसप्यूट पॉलिसी) (यूडीआरपी) कहा जाता है। यह टॉप लेवल डोमेन (TLD) नामों पर लागू होती है। यह उन देशों के टॉप लेवल डोमेन नामों (cc T L D) पर भी लागू है जिन्होंने इसे स्वीकार कर लिया है। इसके अन्दर यदि कोई विवाद उठता है तो पहले वह सर्विस प्रोवाइडर के पास निर्णय करने के लिये भेजा जाता है। यह एक तरह के मध्यस्थ हैं। इनके द्वारा निर्णय दिये जाने के बाद, पीड़ित पक्ष न्यायालय में जा सकता है।

मुकदमों के आंकड़े
World Intellectual Property Organisation (WIPO) (वीपो), समान डोमेन नाम विवाद नीति, के अंदर एक सर्विस प्रोवाइडर है। उसने अपनी वेबसाईट पर समान डोमेन नाम विवाद नीति के अंतरगत दाखिल मुकदमों के बारे में निम्न आंकड़े दिये हैं। आज तक के आंकड़े और उसका ग्राफ निम्न है।

साल - मुकदमें
१९९९ - ०००१
२००० - १८५७
२००१ - १५५७
२००२ - १२०७
२००३ - ११००
२००४ - ११७६
२००५ - १४५६
२००५ - १४५६
२००६ - १८२४
२००७ - २१५६
२००८ - ००८६
मुकदमों की संख्या
साल

समान डोमेन नाम विवाद नीति के अन्दर सारी कार्यवाही अंतरजाल पर होती है बहुत जल्द, लगभग तीन महीने में, समाप्त हो जाती है।


यह आंकड़े दिखाते हैं कि हर साल यह मुकदमें बढ़ रहे हैं और आने वाले समय में जैसे जैसे अंतरजाल का महत्व बढ़ता जायगा वे और भी बढ़ंगे। इसका एक कारण और भी है कि इसमें वाद की सारी कार्यवाही अंतरजाल पर ही होती है और वाद बहुत जल्द ही लगभग तीन महीने में तय हो जाता है।

क्या मजा आये कि भारत की न्याय प्रणाली में भी इतनी तेजी आये। सपने देखने से कोई किसी को कैसे मना कर सकता है :-)


साइबर स्कवैटिंग और टाइपो स्कवैटिंग
लोग किसी भी प्रसिद्घ वस्तु या किसी प्रसिद्घ नाम से डोमेन नाम ले लेते हैं। यह अक्सर इसलिये किया जाता है कि बाद में उसे लाभ में बेचा जा सके या वे उस उस प्रसिद्ध वस्तु, नाम से जुड़े रहें। इसे साइबर स्कवैटिंग (cyber Squatting) कहते हैं।

कभी-कभी लोग नाम की वर्तनी में थोड़ा बदलाव कर डोमेन नाम पंजीकृत करवा लेते हैं। यह अक्सर इसलिये किया जाता है ताकि कोई प्रयोगकर्ता गलती से नाम टाइप कर दे तो वहां पहुंच जाय। इस तरह के विवाद को टाइपो स्कवैटिंग (Typo Squatting) कहते हैं। यह दोनों विवाद भी, यू.डी.आर.पी. के अंतर्गत उठाये जा सकते हैं।

अगली बार चर्चा करेंगे की वर्ड और मॅटा टैग विवाद के बारे में

अंतरजाल की मायानगरी में
टिम बरनर्स् ली।। इंटरनेट क्या होता है।। वेब क्या होता है।। लिकिंग, क्या यह गलत है।। चित्र जोड़ना - यह ठीक नहीं।। फ्रेमिंग भी ठीक नहीं।। बैंडविड्थ की चोरी - क्या यह गैर कानूनी है।। बैंडविड्थ की चोरी - कब गैरकानूनी है।। डोमेन नाम विवाद क्या होता है।। समान डोमेन नाम विवाद नीति, साइबर और टाइपो स्कवैटिंग।। की वर्ड और मॅटा टैग विवाद।।

इस पोस्ट पर चर्चा है कि समान डोमेन नाम विवाद नीति, साइबर और टाइपो स्कवैटिंग। यह हिन्दी (देवनागरी लिपि) में है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।

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This post talks about what is 'Uniform Domain Name Dispute Resolution Policy, Cyber and Typo Squatting'. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.



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Friday, January 18, 2008

बिटिया रानी, जैसी दुनिया चाहो, वैसा स्वयं बनो

पापा
मैं कुछ दिन पहले आपके चिट्ठे पर गयी थी। वहां पहुंच कर अपनी ई-मेल और आपका जवाब पढ़ कर, सुखद आश्चर्य हुआ।

हम सब क्रिसमस की छुट्ठियां में मुन्ने के पास कैलीफोर्निया में थे - काफी धमा-चौकड़ी रही। हम लोग कई जगह घूमने भी गये। एक बार हमारी मुलाकात कुछ युवकों से हुई जो अफ्रीका में शिक्षा के लिये पैसा इक्ट्ठा कर थे। उनके साथ बैनर पर महात्मा गांधी का यह उद्धरण लिखा था,

'You must be the change, you want to see in the World.'
जो परिवर्तन दुनिया में चाहो, वैसा स्वयं बनो।

हमें यह पढ़ कर अच्छा लगा। हमने उनसे बात भी की और चन्दा भी दिया।

आपकी
परी
 

Monday, January 14, 2008

खूबसूरत शहर - बर्लिन: बर्लिन यात्रा

मैंने एक दिन बाद, पुन: बर्लिन शहर देखने के लिये बस सेवा का प्रयोग किया। इस बार सोचा कि कुछ जगह उतर कर उसका आनंद लूंगा, पर हल्का-हल्का पानी भी बरसने लग गया इसलिये यह उतनी अच्छी तरह से नहीं हो पाया जैसा कि मैं चाहता था।

बर्लिन गेट पर एक युगल प्रेमी

मैं सबसे पहली जगह बर्लिन गेट पर उतरा। यह १४ गेटों में से एक है जहां पर टैक्स की बसूली की जाती थी। यहां पर अलग तरह के रिक्शे हैं जिस पर लोग चढ़कर आस-पास की जगह घूमने जाते हैं। कुछ रिक्शों को लड़कियां चलाती दिखीं।

बर्लिन के रिक्शे

बर्लिन गेट के बगल में जर्मनी की संसद है। मैं इसके बगल और पीछे गया। मैं सामने इसलिये नहीं गया क्योंकि इसमें कुछ समय लगता और मैं बाकी जगह भी घूमना चाहता था इसलिये वापस जहां से बस मिलने वाली थी वहां पर वापस आ गया।

जर्मन संसद, पीछे और एक तरफ का हिस्सा

सू - सू करने के लिये ३० रूपये देना - कुछ ज्यादा ही लगा पर यदि न देता तो ज्यादा मुश्किल पड़ती। इसलिये पैसे देकर सुविधा का प्रयोग किया।


मैं वहां पर बर्लिन टावर भी देखने गया। रात के समय सारा बर्लिन बहुत सुन्दर लगता है। मुझे लगा कि यूरोप के मुख्य शहरों में टावर बनाने का चलन है। वियान में भी इस तरह की टावर है। मैं बर्लिन टावर पर टॉयलेट भी जाना चाहता था, पता चला कि इसके लिए ५० सैन्ट
देने पड़ेगें यानी कि लगभग ३० रूपये। सू - सू करने के लिये ३० रूपये कुछ ज्यादा ही लगे पर यदि न देता तो ज्यादा मुश्किल पड़ती इसलिये पैसे देकर सुविधा का प्रयोग किया।

बर्लिन टावर

रास्ते में घूमते हुऐ, रात्रि में मनोरंजन की जगहों और साधनों के बारे में, कई जगह पोस्टर दिखायी पड़े, उनका निमंत्रण मिला। मुन्ने की मां की याद आ गयी और मैंंने नजर दूसरी तरफ कर ली :-)

वहां पर मैक्डॉनाल्ड, पीट्जा शॉप भी है पर मैं वहां जाना ठीक नहीं समझा। मैं एक जर्मन ढ़ाबे पर पहुंचा। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या लूं। वहां कि महिला को अंग्रेजी ठीक से नहीं आती थी। उसने मुझे बतख का मांस, डबलरोटी, चटनी के साथ खाने के लिए कहा। भूख बहुत जोरों से लगी थी सब अच्छा लगा। खाकर वापस आया अगले दिन मुझे वियाना जाना था और सामान लगाते ही मेरी आंख भी लग गयी।

बर्लिन यात्रा समाप्त हुई। अगली बार हम लोग वियाना चलेंगे। वहां मिलेंगे सिस्टरों से, लियाना से, और लीसा से।
सिस्टरों से? जी हां, मैं वहां सिस्टरों के साथ ही एक कॉन्वेंट में ठहरा था। लीसा मुझे बहुत प्यारी लड़की लगी। उससे मेरी अक्सर ई-मेल पर बात होती है और आने वाले समय में कुछ उसकी ईमेल की चर्चा भी करेंगे।

बर्लिन-वियाना यात्रा
जर्मन भाषा।। ऑस्ट्रियन एयरलाइन।। बीएसएनएल अन्तरराष्ट्रीय सेवा - मुश्कलें।। बर्लिन में भाषा की मुश्किल।। ऑफिस, स्कूल साइकिल पर – स्वास्थ भी बढ़िया, पर्यावरण भी ठीक।। बर्लिन दीवार का टूटना और दिलों का मिलना।। भारतीय सभ्यता, संस्कृत, और उपनिषद के जर्मन विद्वान – मैक्स मुलर।। खूबसूरत शहर बर्लिन

हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
(सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें: Click on the symbol ► after the heading)

  • अंतरजाल की माया नगरी की नवीनतम कड़ी: समान डोमेन नाम विवाद नीति साइबर और टाइपो स्कवैटिंग' (Uniform Domain Name Dispute Resolution Policy, Cyber and Typo squatting)
  • पुस्तक समीक्षा: स्कॉट की आखिरी यात्रा - उसी की डायरी से; Scott's Last Expedition

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यह पोस्ट मेरी बर्लिन यात्रा का संस्मरण है और बर्लिन शहर में घूमने की जगहों के बारे में है। यह हिन्दी (देवनागरी लिपि) में है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।

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This post is part my travel to Berlin and is about What to see in Berlin city. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.


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Friday, January 11, 2008

डोमेन नाम विवाद क्या होता है?

आज चर्चा का विषय है: डोमेन नाम विवाद क्या होता है? इसे आप सुन भी सकते है। सुनने के लिये प्ले करने वाले चिन्ह पर चटका लगायें। यह ऑडियो फाइल ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,
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आजकल अक्सर डोमेन नाम विवाद (Domain Name Dispute) उठता है। इसे जानने से पहले कुछ शब्दों के अर्थ को भी समझ लें।


एक विवाद यह भी - स्टार वॉर फिल्म से :-)

डोमेन नेम सिस्टम (डी.एन.एस.)
वेब पन्ने कुछ खास कंप्यूटर पर रहते हैं। यह कंप्यूटर हमेशा इंटरनेट से जुड़े रहते है और ऎसे कंप्यूटर को सर्वर (Server) कहा जाता है। हर सर्वर का पता होता है जो कि कुछ नम्बर होते हैं जिन्हें चार विन्दुओं के द्वारा अलग-अलग किया गया होता है। इसे Internet Protocol address (IP address) आई.पी. पता कहा जाता है। किसी भी सर्वर को उसके आई.पी. पते (IP address) के द्वारा पहुंचा जा सकता है।

यह आई.पी. पता (IP address) नम्बरों में होता है इसलिये इसे याद करने में मुश्किल पड़ती है। इसे याद करने के लिये नम्बर की जगह इसे जाने-पहचाने नाम दिये जाते हैं। ताकि यह आसानी से याद किये जा सकते हैं। यह डोमेन नाम सिस्टम (डी.एन.एस.) (DNS) { Domain Name System} कहलाता है।

यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर (यू.आर.एल.)
गूगल, याहू एक डोमेन नाम है जो कि उसके आई.पी. पते (IP address) को आसानी से याद करने के लिये दिया गया है। इस पते को यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर Uniform Resource Locator (URL)(यू.आर.एल.) कहते हैं। किसी भी सर्वर या वेब पन्ने को उसके यू.आर.एल. के द्वारा पहुंचा जा सकता है।

यू. आर.एल., में अक्सर सबसे पहले शब्द http लिखा रहता है। यह केवल यह बताता है कि सूचना का स्थानान्तरण किस प्रोटोकाल के अंतर्गत हो रहा है। पते में आखिरी तीन शब्द जैसे कि .com या .gov या .org इत्यादि रहते हैं। इनको टॉप-लेवल डोमेन (टीएलडी) (top-Level Domain) (TLD) कहा जाता है। .com का अर्थ है कि यह व्यावसायिक (Commercial) है। '.gov' का अर्थ है कि यह सरकारी है। कभी-कभी आखिर में दो अक्षर होते हैं। यह देशों के लिये होते हैं जो किसी भी देश को दिये गये होते हैं। इन्हे Country Code Top Level Domains (ccTLD) कहा जाता हैं। अपने देश के लिये .in शब्द का प्रयोग किया जाता है।

ट्रेड मार्क
बौद्धिक सम्पदा कई तरह की होती हैं। ट्रेड मार्क (Trade Mark) उनमें से एक है। यह एक तरह का नाम या चिन्ह है जो किसी भी सेवा या उत्पाद के साथ जुड़ा होता है। किसी सेवा या उत्पाद को उसके ट्रेड मार्क से जाना जाता है। उदाहरणार्थ, टाटा नाम टाटा के उत्पादों के साथ जुड़ा है, यह उनका ट्रेड मार्क है।

अब चलते हैं डोमेन नाम विवाद पर और देखते हैं कि यह क्या होता है?

क्या कोई, किसी और का ट्रेड मार्क, अपने डोमेन नाम की तरह प्रयोग कर सकता है?


अक्सर सवाल उठता है कि क्या कोई, किसी और का ट्रेड मार्क, अपने डोमेन नाम की तरह प्रयोग कर सकता है? क्या कोई ओबेराय होटल, टाटा नाम से डोमेन नाम ले सकता है? इस तरह के विवादों को, डोमेन नाम विवाद (Domain Name Dispute) कहा जाता है। इस सवाल का जवाब, उच्चतम न्यायालय ने, M/s SatyamInfoway Ltd. vs. M/s Siffynet Solutions Pvt. Ltd: JT 2004 (5) SC 541 के फैसले में दिया है। न्यायालय के अनुसार, डोमेन नाम एक तरह का ट्रेड मार्क है और इसमें भी उसी तरह से ट्रेड मार्क का उल्लंघन हो सकता है जैसा कि ट्रेड मार्क के साथ होता है। आप किसी और के ट्रेड मार्क नाम से डोमेन नाम नहीं ले सकते हैं। यह नियम किसी विशेष टीएलडी के लिये नहीं है। इसे सारे टीएलडी पर लागू होना चाहिये।

क्या इस तरह के विवाद में कोई सीधे ही न्यायालय जा सकता है या पहले कहीं और विवाद उठाना होता है - इसकी चर्चा अगली बार 'समान डोमेन नाम विवाद नीति' शीर्षक के अन्दर।

अंतरजाल की मायानगरी में
टिम बरनर्स् ली।। इंटरनेट क्या होता है।। वेब क्या होता है।। लिकिंग, क्या यह गलत है।। चित्र जोड़ना - यह ठीक नहीं।। फ्रेमिंग भी ठीक नहीं।। बैंडविड्थ की चोरी - क्या यह गैर कानूनी है।। बैंडविड्थ की चोरी - कब गैरकानूनी है।। डोमेन नाम विवाद क्या होता है।। समान डोमेन नाम विवाद नीति

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(सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें: Click on the symbol ► after the heading)
पुस्तक समीक्षा: स्कॉट की आखिरी यात्रा - उसी की डायरी से; Scott's Last Expedition
अंतरजाल की माया नगरी की नवीनतम कड़ी: डोमेन नाम विवाद क्या होता है; What is domain name dispute?


इस पोस्ट पर चर्चा है कि डोमेन नाम विवाद क्या होता है। यह हिन्दी (देवनागरी लिपि) में है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।

is post pr charcha hai ki domain naam vivaad kyaa hotaa hai. yah hindee {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post talks about what is domain name dispute. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.



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Tuesday, January 08, 2008

विदा - सैर सपाटा, विश्वसनीयता, उत्सुकता, और रोमांच श्रंखला सेः शुरवात - बाईबल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियों

मेरी चिट्टी 'स्कॉट की आखिरी यात्रा' के साथ ही 'सैर सपाटा - विश्वसनीयता, उत्सुकता, और रोमांच' श्रंखला समाप्त हुई।

बहुत जल्द ही चलेंगे एक नयी श्रंखला 'बाईबल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियों' पर।


इस श्रंखला में, मैंने यात्रा संस्मरण से जुड़ी बेहतरीन पुस्तकों की समीक्षा कर यह बताने की कोशिश की एक अच्छे यात्रा विवरण के लिये जरूरी नहीं है कि यात्रा किसी नयी जगह की जाय या फिर अनूठी तरह से की जाय। यदि यात्रा विवरण विश्वसनीय है; पाठक को रोमांचित करता है; उसके मन में उत्सुकता जगाता है - तो वह यादगार है चाहे वह घिसी पिटी जगह का हो या फिर घिसी पिटी तरह से यात्रा करके हो। ऐसा वर्णन हमेशा पाठक के करीब पहुंचाता है। यह सच है कि नयी जगह की यात्रा करने में या अनूठे तरह से यात्रा करने में रोमांच या फिर उत्सुकता पैदा करना आसान है पर इसके लिये तो यात्रा करना भी जरूरी नहीं - सबसे लोकप्रिय यात्रा संस्मरण में तो यात्रा की भी नहीं गयी :-)

बहुत जल्द ही चलेंगे एक नयी श्रंखला 'बाईबल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियों' पर। इस श्रंखला में चर्चा करेंगे बाईबिल की कुछ कथाओं पर; जानेंगे उन कथाओं से जुड़े वैज्ञानिक, सांख्यकि, और खगोल शास्त्र के तथ्यों को; और चर्चा करेंगे इन दोनो से जुड़ी विज्ञान कहानियों की।

इस श्रंखला से विदा लेते समय में एक बात का उल्लेख और करना चाहूंगा। मैंने यह श्रंखला रत्ना जी की भूले बिसरे किस्से-१ चिट्ठी से शुरू की थी। उस चिट्ठी के बाद रत्ना जी ने कोई चिट्टी पोस्ट नहीं की। क्या वे फिर से विदेश घूमने चली गयीं हैं? क्या किसी को मालुम है कि वे कहां हैं? आशा करता हूं कि वे स्वस्थ होंगी, सकुशल होंगी - जल्द वापस चिट्ठा लेखन शुरू करेंगी। इसी के साथ इस श्रंखला से विदा।

इंतजार कीजिये नयी श्रंखला
'बाईबल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियों' की।

स्कॉट की आखिरी यात्रा (Scott's-last-Expedition) की पुस्तक समीक्षा 'यहां' चटका लगा कर सुने।

Scott's Last Expedition
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सैर सपाटा - विश्वसनीयता, उत्सुकता, और रोमांच
भूमिका।। विज्ञान कहानियों के जनक जुले वर्न।। अस्सी दिन में दुनिया की सैर।। पंकज मिश्रा।। बटर चिकन इन लुधियाना।। कॉन-टिकी अभियान के नायक - थूर हायरडॉह्ल।। कॉन-टिकी अभियान।। स्कॉट की आखिरी यात्रा - उसी की डायरी से


सांकेतित शब्द
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Sunday, January 06, 2008

भारतीय सभ्यता, संस्कृत, और उपनिषद के जर्मन विद्वान – मैक्स मुलर: बर्लिन यात्रा

मैक्स मुलर (Max Müller) का जन्म ६ दिसम्बर १८२३ में देसा, (Dessan, Germany) में हुआ था। लिपजिंग विश्वविद्यालय से पढ़ाई और पी.एच.डी. लेने के बाद १८४५ में वे फ्रांस चले गये जहां उन्होंने संस्कृत सीखी। १८४६ में वे, संस्कृत का और अच्छा अध्ययन करने, इंगलैंड चले गये। उन्होंने १८६८ से १८७५ तक आल सोलस् कालेज All Soules College, Oxford में Comparative Theology के प्रोफेसर रहे।

जन्मः ६.१२.१८२३ – मृत्युः २८.१०.१९००

मैक्स मुलर ने भारतीय सभ्यता, संस्कृत, उपनिषद का अच्छा अध्ययन किया और कई पुस्तकें लिखी । इनमें मुख्य हैं:
  1. A History of Ancient Sanskrit Literature So Far As It Illustrates the Primitive Religion of the Brahmans (1859),
  2. Lectures on the Science of Language (1864, 2 vols.),
  3. Chips from a German Workshop (1867-75, 4 vols.),
  4. Introduction to the Science of Religion (1873),
  5. जर्मन लोगों को यह सुन कर आश्चर्य हुआ कि मैक्स मुलर के नाम पर भारत में भवन और मार्ग हैं।

    India, What can it Teach Us? (1883),
  6. Biographical Essays (1884),
  7. The Science of Thought (1887),
  8. Six Systems of Hindu Philosophy (1899),
  9. Natural Religion (1889),
  10. Physical Religion (1891),
  11. Anthropological Religion (1892),
  12. Theosophy, or Psychological Religion (1893).
  13. Auld Lang Syne (1898),
  14. My Autobiography: A Fragment (1901);
  15. The Life and Letters of the Right Honourable Friedrich Max Müller (1902, 2 vols.), यह उनकी पत्नी द्वारा सम्पादित है
उनकी मृत्यु २८ अक्टूबर १९०० में हो गयी।

मैक्स मुलर (Max Muller) कभी भारत नहीं आये हैं पर भारतीय सभ्यता के बारे में बहुत काम किया है। जर्मनी में, मैंने उनके बारे में लोगों से पूछा पर उन्होंने मैक्स मुलर का नाम नहीं सुना था। मैंने उन्हें बताया कि वे जर्मन थे उन्होंने भारतीय सभ्यता और संस्कृत भाषा पर बहुत काम किया था। उनके नाम पर भारत में भवन और मार्ग हैं। उन्हें यह सुन कर आश्चर्य हुआ।

बर्लिन-वियाना यात्रा
जर्मन भाषा।। ऑस्ट्रियन एयरलाइन।। बीएसएनएल अन्तरराष्ट्रीय सेवा - मुश्कलें।। बर्लिन में भाषा की मुश्किल।। ऑफिस, स्कूल साइकिल पर – स्वास्थ भी बढ़िया, पर्यावरण भी ठीक।। बर्लिन दीवार का टूटना और दिलों का मिलना।। भारतीय सभ्यता, संस्कृत, और उपनिषद के जर्मन विद्वान – मैक्स मुलर।।

अंतरजाल की मायानगरी श्रंखला में, मेरा नया पॉडकास्ट डोमेन नाम विवाद (Domain name dispute) सुनिये।
Domain Name Dispute
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इस चिट्ठी में चित्र ग्नू स्वतंत्र अनुमति पत्र की शर्तों के अन्दर प्रकाशित हैं।











यह पोस्ट मेरी बर्लिन यात्रा का संस्मरण है और भारतीय सभ्यता, संस्कृत, और उपनिषद के जर्मन विद्वान – मैक्स मुलर के बारे में है। यह हिन्दी (देवनागरी लिपि) में है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।

yah post berlin yatraa ka sansmranna hai aur bharteey sbhyta, sanskrit, aur upnishad ke vidvan - max muller ke baare men hai. yah hindee {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post is part my travel to Berlin and is about Max Muller, German scholar of Indian philosphy, Sanscrit and Indian scripture. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.


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Wednesday, January 02, 2008

बैंडविड्थ की चोरी - कब गैरकानूनी है: अंतरजाल की मायानगरी में

आज चर्चा का विषय है: बैंडविड्थ की चोरी कब गैरकानूनी है। इसे और इसकी पिछली कड़ी 'बैंडविड्थ की चोरी - क्या गैरकानूनी है', को आप सुन भी सकते है। सुनने के लिये यहां चटका लगायें। यह ऑडियो फाइल ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,
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  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में,
सुन सकते हैं। ऑडियो फाइल पर चटका लगायें फिर या तो डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले। इसके पहली कड़ी 'चित्र जोड़ना - यह ठीक नहीं' सुनने के लिये यहां चटका लगायें।

बैंडविड्थ की चोरी गैर-कानूनी है अथवा नहीं - इसको समझने से पहले कॉपीराइट को भी समझना पड़ेगा।


कॉपीराइट किसी मूल अभिव्यक्ति पर, किसी वर्णन पर होता है। यदि उसे प्रकाशित किया गया है तो वह उस व्यक्ति का कॉपीराइट है। इसके लिये उस पर © चिन्ह बना होना या कॉपीराइट की नोटिस लिखी होना, जरूरी नहीं है। कॉपीराइट को आप चाहें तो रजिस्टर करवायें अथवा नहीं पर यह जरूरी नहीं है। यदि आपने रजिस्टर नहीं करवाया है तो भी वह आपका कॉपीराइट रहेगा। यह कॉपीराइट अधिनियम कहता है।

यदि कोई देश वर्ल्ड ट्रेड ऑरगनाइज़ेशन का सदस्य है तो उसे ट्रिप्स के अन्दर कॉपीराइट अधिनियम बनाना पड़ेगा। इसके बारे में मैंने कुछ विस्तार से चर्चा पेटेंट चिट्ठी पर की है। यदि आप किसी और की कॉपीराइटेड सामग्री - चित्र, लेख, वीडियो, गीत - अपनी वेबसाइट पर बिना अनुमति के डालते हैं तो वह कॉपीराइट अधिनियम के अन्दर गैर-कानूनी है। इसके लिये आप न केवल हर्जाना देना पड़ सकता है पर आपको जेल भी हो सकती है।

आप अपनी कॉपीराइटेड सामग्री को अलग अलग तरह से लोगों को प्रयोग करने दे सकते हैं। आप बिलकुल मना कर सकते हैं, आप कुछ शर्तों के साथ उसे प्रयोग करने के लिये दे सकते हैं। कॉपीराइटेड सामग्री किस प्रकार से प्रयोग की जायगी - यह इस पर निर्भर करता है कि वह सामग्री किन शर्तों के अन्दर प्रकाशित की गयी है। यदि आप क्रिएटिव कॉमनस् का लाईसेंस देखें तो यह कई प्रकार के हैं। मैंने इस बारे में कुछ चर्चा विकिपीडिया की रिहाई चिट्ठी पर की है। अब चलते हैं बैंडविड्थ की चोरी पर।

यदि यह शर्त चित्र प्रकाशित करने का भाग है तो यह कॉपीराइट की शर्त होगी और इसका उल्लघंन गैर कानूनी।


कुछ दिन पहले शास्त्री जी ने कुछ जालस्थानों के बारे में यहां और यहां बताया था जो आपको मुफ्त में चित्र उपलब्ध कराते हैं। यदि आप इन पर चित्रों को प्रकाशित करने की शर्तो को देखें तो पायेंगे कि यह अलग अलग हैं। पर कईयो में शर्त है कि आपको चित्र, अपने सर्वर में डाउनलोड करना है। आप चित्रों को डायरेक्ट लिंक नहीं कर सकते हैं। उदाहरर्ण के तौर इनमें से एक वेबसाइट की शर्तें देखिये जिसमें यह बात स्पष्ट रूप से लिखी है।


चित्र में लिखी शर्तों को पढ़ने के लिये उस पर चटका लगायें

यह शर्त, इनके चित्रों को प्रकाशित करने की है और इनके कॉपीराइट का अंग है। यदि आप इसका उल्लंघन करते हैं तो यह ने केवल संविदा का, पर कॉपीराइट का भी उल्लंघन होगा। यह गैर-कानूनी है। यदि किसी वेबसाइट में इस तरह की शर्त है तो यह काम कदापि न करें।

'उन्मुक्त जी, यदि ऐसी नोटिस न हो तब क्या होगा? तब क्या यह गैर-कानूनी नहीं है?'

यह तो कोई कानूनी विशेषज्ञ ही बता सकता है। अब तो कई वकील चिट्ठा लिखने लग गये हैं। शायद वे इस पर अपने विचार रखना चाहें। जहां तक मैं समझता हूं इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं है और न ही आने वाले समय में स्पष्ट हो पायेगी। इसके कई कारण हैं:
  • फ्रेमिंग करना, चित्र जोड़ना, पॉडकास्ट, या विडियोकास्ट जोड़ने की सुविधा देना - यह सब तकनीक के प्रयोग से बहुत आसानी से बन्द किया जा सकता है। जो वेबसाइट इस तरह की सुविधा नहीं देना चाहते हैं वह तकनीक का प्रयोग कर लेते हैं। मुकदमा करके, पैसा और समय बेकार नहीं करते हैं;
  • बड़े वेबसाइट के लिये, कॉपीराइट या ट्रेडमार्क का उल्लंघन परेशानी की बात होती है। बैंडविड्थ की कमी की कोई परेशानी नहीं होती है। वे इसी पर चलते हैं कि उनका महत्व बढ़े। चित्र जोड़ने से उनकी वेबसाइट का महत्व बढ़ता है। इसीलिये कई इसे स्पष्ट रूप से प्रोत्साहित करते हैं;
  • यह परेशानी केवल छोटे वेबसाइट के लिये होती है। जिसे ज्यादा परेशानी होती है वह यह बात को अपनी वेबसाइट पर स्पष्ट रूप से लिख देते हैं कि चित्र जोड़ने की सुविधा नहीं है या बाद में स्पष्ट कर देते हैं। उसके बाद भी यह काम करना तो अवश्य ही गैरकानूनी हो जाता है।
'उन्मुक्त जी, यदि किसी वेबसाइट पर इस बारे कोई सूचना न तब क्या चित्र जोड़ना चाहिये।'
मेरे विचार से चित्र को जब तक न जोड़ें जब तक वह वेबसाइट आपको यह करने के लिये प्रेत्साहित न कर रही हो। क्योंकि,
  • यह गैर-कानूनी न भी हो, फिर भी, नेट शिष्टाचार के खिलाफ है;
  • इस कार्य को, बहुत से लोग शौकिया तौर पर कर रहें हैं। क्यों उन पर जबरदस्ती का भार डाला जाय;
  • इसका एक घाटा यह भी है कि आपने जिस चित्र को जोड़ा है यदि उसके वेबसाइट ने उसे बदल दिया, तो वह बदला वाला चित्र आपकी चिट्ठी में दिखायी पड़ने लगेगा। बदला वाला चित्र हो सकता है कि आपकी चिट्ठी का मतलब ही बदल दे या खतरनाक साबित हो;
  • खुदा न खास्ता, यदि मुकदमा चल ही गया और ऊंठ दूसरी करवट ले बैठा तो लेने के देने पड़ जायेंगे।
बिना कारण, क्यों जोखिम उठाया जाय :-)

हां इसका भी ख्याल रखिये, यदि आप अपनी वेबसाइट पर चित्र या अन्य कोई फाइल कॉपी करने की अनुमति देते हैं पर चित्र लिंक करने की नहीं देना चाहते हैं तो यह बात स्पष्ट रूप से लिखें। ताकि कोई यह कार्य न कर सके और यदि करे तो वह गैरकानूनी हो जाय। अगली बार चलेंगे डोमेन नाम विवाद के बारे में।

अंतरजाल की मायानगरी में
टिम बरनर्स् ली।। इंटरनेट क्या होता है।। वेब क्या होता है।। लिकिंग, क्या यह गलत है।। चित्र जोड़ना - यह ठीक नहीं।। फ्रेमिंग भी ठीक नहीं।। बैंडविड्थ की चोरी - क्या यह गैर कानूनी है।। बैंडविड्थ की चोरी - कब गैरकानूनी है।। डोमेन नाम विवाद।।











इस पोस्ट पर चर्चा है कि बैंडविड्थ की चोरी कब गैर कानूनी है। यह हिन्दी (देवनागरी लिपि) में है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।

is post pr charcha hai ki bandwidth kee choree kab gaer kanoonee hai. yah hindee {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post dicusses the issue as to when bandwidth theft is illegal? It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.




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