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रॉबर्ट ओपेनहाइमर |
इस चिट्ठी में, परमाणु बम के जनक के नामे से जाने वाले वैज्ञानिक, रॉबर्ट ओपेनहाइमर, की सुरक्षा मंजूरी को समाप्त किये जाने वा इस आज्ञा को रद्द किये जाने की चर्चा है।
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रॉबर्ट ओपेनहाइमर |
इस चिट्ठी में, परमाणु बम के जनक के नामे से जाने वाले वैज्ञानिक, रॉबर्ट ओपेनहाइमर, की सुरक्षा मंजूरी को समाप्त किये जाने वा इस आज्ञा को रद्द किये जाने की चर्चा है।
इस चिट्ठी में, 'लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी' प्रार्थना पर उठे विवाद पर चर्चा है।
यहां इस प्रार्थना को सुनें। यह कितनी मधुर और मन को शान्त करने वाली है। यह प्रार्थना सिद्धार्थ नगर उत्तर प्रदेश के स्कूल में गायी जा रही है।
इस चिट्ठी में, जयन्त विष्णु नार्लीकर के हिन्दी एवं मातृ भाषा के बारे में विचारों की चर्चा है।
इस विषय को, फिल्म 'हिन्दी मीडियम', बेहतरीन तरीके से उठाती है। नीचे इस फिल्म का टेलर है
चार नगरोंं की मेरी दुनिया - जयंत विष्णु नार्लीकर
इस चिट्ठी में रज्जू भैया के जीवन से जुड़ी कुछ घटनाओं की चर्चा है।
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२१ सितंबर १९९५ में गणेश जी की मूर्तियों के दूध पीने की घटना के बाद, कुछ पेपरों में छपी घटना का जिक्र |
रज्जू भैया, जैसा मैंने जाना
भूमिका।। रज्जू भैया का परिवार।। रज्जू भैया की शिक्षा और संघ की तरफ झुकाव।। रज्जू भैया - बचपन की यादें।। सन्ट्रेल इंडिया लॉन टेनिस चैम्पियनशिप और टॉप स्पिन।। आपातकाल के 'निकोलस बेकर'।। भगवान इतने कठोर कि दूध पीने लगें।।।
इस चिट्ठी में, जयन्त विष्णु नार्लीकर के जयोतिष के बारे में विचारों की चर्चा है।
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२००७ में रामनाथ गोयनका पुरस्कार के दौरान, जाते समय, जब जवाब सुनने के रोकने पर, वहीं फर्श पर जवाब सुनते और उसका जवाब देते हुऐ अब्दुल कलाम। |
इस चिट्ठी में, रज्जू भैया के फिल्म और गानों में रुचि के साथ आपातकाल के दौरान नाम और भेष बदलने की चर्चा है।
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आपातकाल के समय, रज्जू भैया अपने बदले रूप और छद्म नाम गौरव के रूप में |
रज्जू भैया, जैसा मैंने जाना
भूमिका।। रज्जू भैया का परिवार।। रज्जू भैया की शिक्षा और संघ की तरफ झुकाव।। रज्जू भैया - बचपन की यादें।। सन्ट्रेल इंडिया लॉन टेनिस चैम्पियनशिप और टॉप स्पिन।। आपातकाल के 'निकोलस बेकर'।।
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रिचर्ड फाइनमेन - बॉंगो बजाते हुऐ |
चार नगरोंं की मेरी दुनिया - जयंत विष्णु नार्लीकर
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चित्र - फ़रमानी नाज़ के गाये भजन के वीडियो से |
रज्जू भैया, जैसा मैंने जाना
भूमिका।। रज्जू भैया का परिवार।। रज्जू भैया की शिक्षा और संघ की तरफ झुकाव।। रज्जू भैया - बचपन की यादें।। सन्ट्रेल इंडिया लॉन टेनिस चैम्पियनशिप और टॉप स्पिन।।इस चिट्ठी में, जयन्त नार्लीकर की रिचर्ड फाइनमेन से मुलाकात की भी चर्चा है।
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१९६२ में, वॉरसा में हुऐ सम्मेलन में, पॉल डिरैक और रिचर्ड फाइनमेन - यह चित्र 'वॉन्डरस ऑफ फिजिक्स' की इस चिट्ठी से है |
चार नगरोंं की मेरी दुनिया - जयंत विष्णु नार्लीकर
रज्जू भैया, जैसा मैंने जाना
भूमिका।। रज्जू भैया का परिवार।। रज्जू भैया की शिक्षा और संघ की तरफ झुकाव।। रज्जू भैया - बचपन की यादें।
इस चिट्ठी में, आजकल आयी गर्मी की लहर और उससे निजात पाने के उपायों पर चर्चा है।
हाय, हाय यह मजबूरी
यह मौसम और यह गरमी
उस पर, पानी की यह किल्लत
और साथ में, गुल बिजली
हाय, हाय यह मजबूरी
जयन्त नार्लीकर ने, अपना शोद्ध फ़्रेड हॉयल के साथ किया। इस चिट्ठी में कुछ बातें उनके बारे में।
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फ़्रेड हॉयल का यह चित्र The Guardian के लेख 'Fred Hoyle: the scientist whose rudeness cost him a Nobel prize' के सौजन्य से है। |
चार नगरोंं की मेरी दुनिया - जयंत विष्णु नार्लीकर
इस चिट्ठी में, रज्जू भैया के अध्यन के दिनों के साथ, उनके संघ की तरफ झुकाव की चर्चा है।
सेंट जोसेफ नैनीताल - चित्र विकिपीडिया के सौजन्य से |
रज्जू भैया, जैसा मैंने जाना
भूमिका।। रज्जू भैया का परिवार।। रज्जू भैया की शिक्षा और संघ की तरफ झुकाव।।
इस चिट्ठी में, जयंत विष्णु नार्लीकर की आत्मकथा 'चार नगरोंं की मेरी दुनिया' से, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के कुछ किस्सों की चर्चा है।
कैम्ब्रिज विश्वविदयाल का फिट्ज़विलियम कॉलेज का खेल का मैदान, जहां जयन्त नार्लीकर ने पढ़ाई की - चित्र विकिफीडिया से |
चार नगरोंं की मेरी दुनिया - जयंत विष्णु नार्लीकर
कुंवर बलबीर सिंह, रज्जू भैया के पिता जी
रज्जू भैया, जैसा मैंने जाना
भूमिका।। रज्जू भैया का परिवार।।
इस चिट्ठी में, चर्चा है कि १३ फरवरी को, क्यों साड़ी दिवस होना चाहिये; और
यदि आज काले रंग की साड़ी पहनी जाय, तो क्या बात है।
जयंत विष्णु नार्लीकर इलाहाबाद तारामंडल में बोलते हुऐ - चित्र प्रमोद पांडे के सौजन्य से
चार नगरोंं की मेरी दुनिया - जयंत विष्णु नार्लीकर
भूमिका।।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के चौथे सरसंघ चालक, रज्जू भैया का जन्म २९ जनवरी १९२२ में हुआ था। आज उनकी जन्म शताब्दी है। इसी अवसर पर, उनके ऊपर, यह श्रंखला शुरू कर रहा हूं। आने वाले समय में, उनकी यादों को साझा करूंगा।
मेरे पिता के ७०वें जन्मदिन पर, मिठाई खिलाते रज्जू भैया |
रज्जू भैया, जैसा मैंने जाना
भूमिका।।
इस चिट्ठी में, लॉस ऐंजलीस में हुऐ विश्च हिन्दू परिषद के समारोह की कुछ बातें हैं, जो अम्मा ने मेरे बेटे को नहीं लिखीं थीं।
इस समारोह में, रज्जू भैया (बड़े चाचा जी) मुख्य वक्ता थे, जाहिर है इस चर्चा में, कुछ बातें, उनके बारे में।
बड़े चाचा जी, सेंट जोसेफ नैनीताल में पढ़े थे। नीचे का चित्र उन्हें वहां पुरस्कार में मिली एक पुस्तक का है। इसमें, कोई तारीख नहीं लिखी है। लेकिन, वे वहां, १९३० के दशक में, विद्यार्थी थे। इसलिये यह पुस्तक ८० साल से भी अधिक पुरानी है। मैंने इसे उनकी याद में रख छोड़ी है। ।
दादी की चिट्ठी - रमरीका यात्रा
भूमिका।। लन्दन होते हुऐ, वॉशिन्गटन।। फ्लोरिडा के सी-वर्ल्ड में मस्ती।। जमाइका, एरिज़ोना और सैन फ़्रांसिस्को की यात्रा।। विश्व हिन्दू परिषद के लॉस एंजेलिस सम्मेलन में।। नियागरा फॉल्स - हैलीकॉपटर पर।। न्यू-वृन्दावन - मथुरा में बृन्दावन जैसा है।। अनलिखी - हनुमान तो सुपरमैन हैं।।